असल में उम्रकैद की सजा में कैदी को कितने साल की सजा होती है, इतने साल के बाद कर दिया जाता है रिहा

भारत में आईपीएस की धाराओं के तहत अपराधियों को सजा सुनाई जाती है। विशेष रूप से आजीवन कारावास की सजा गंभीर अपराधों के लिए आवश्यक मानी जाती है। हालांकि इस सजा को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम की स्थिति देखी जाती है खासकर जब इसे विभिन्न अवस्थाओं में लागू किया जाता है।

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भारत में आईपीएस की धाराओं के तहत अपराधियों को सजा सुनाई जाती है। विशेष रूप से आजीवन कारावास की सजा गंभीर अपराधों के लिए आवश्यक मानी जाती है। हालांकि इस सजा को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम की स्थिति देखी जाती है खासकर जब इसे विभिन्न अवस्थाओं में लागू किया जाता है।

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दोहरी उम्र कैद की सजा का मतलब

केरल की कोल्लम सेशन कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को सांप से कटवाकर हत्या करने के जुर्म में दोहरी उम्र कैद की सजा सुनाई। दोहरी उम्र कैद का मतलब है कि अपराधी को दो बार आजीवन कारावास की सजा दी गई है जो एक के बाद एक लागू की जाएगी। यह अत्यंत गंभीर मामलों में सुनाई जाती है जहाँ एकल आजीवन कारावास अपर्याप्त समझा जाता है।

आजीवन कारावास का कानूनी पहलू

भारतीय कानून के अनुसार आजीवन कारावास का मतलब होता है व्यक्ति की पूरी उम्र जेल में बिताना। हालांकि प्रायः यह देखा गया है कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को 14 या 20 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया जाता है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकारों को कुछ मानदंडों के आधार पर किसी व्यक्ति की सजा कम करने की शक्ति प्राप्त होती है।

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आजीवन कारावास की गिनती और रिहाई

आईपीसी की धारा 57 के अनुसार आजीवन कारावास को 20 साल के बराबर माना जाता है जब इसे गणना के लिए उपयोग किया जाता है। यह नियम उस स्थिति में लागू होता है जब अपराधी को दोहरी सजा सुनाई गई हो या जब उसे जुर्माना न चुकाने पर अधिक समय तक सजा काटनी पड़े।

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सरकारी अधिकार और अपराधियों की रिहाई

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 433 के तहत सरकार को अपराधी की सजा कम करने का अधिकार है। इस धारा का उपयोग करते हुए सरकार आजीवन कारावास सहित किसी भी प्रकार की सजा को कम कर सकती है जिससे अपराधी की जेल से जल्दी रिहाई संभव होती है।

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