भारत में यहां एक औरत कई मर्दों के साथ कर सकती है शादी, एक जगह तो लड़की शादी से पहले भी हो सकती है प्रेग्नेंट
भारत विविधताओं का देश अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ के लोग विभिन्न धर्मों और जातियों में बंटे हुए हैं फिर भी आपस में मिलजुलकर एक समृद्ध सामाजिक ताना-बाना बुनते हैं। इसी विविधता में शादी की कुछ परंपराएं ऐसी हैं जो अपनी अनोखी प्रकृति के चलते जिज्ञासा का विषय बनी हुई हैं।
भारतीय समाज में विविध और अनूठी विवाह प्रथाएं समाज की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। ये प्रथाएं न केवल हमें हमारे पूर्वजों की समझ और जीवन शैली से अवगत कराती हैं बल्कि ये हमें सिखाती हैं कि कैसे समाज में विभिन्नताओं के बावजूद एकता और सामंजस्य बनाकर रखा जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश की घोटुल प्रथा
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में अपनाई जाने वाली घोटुल प्रथा जहां सभी भाई एक ही लड़की से विवाह करते हैं एक परंपरा है जो सदियों पुरानी है। यह प्रथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है जहां पांडवों ने द्रौपदी से विवाह किया था। यह प्रथा संपत्ति को बिखराव से बचाने और भाईचारे को मजबूत करने का एक माध्यम है।
मेघालय की खासी जनजाति में महिलाओं की अधिक शादियाँ
मेघालय की खासी जनजाति में महिलाएं जितनी चाहें उतनी शादियां कर सकती हैं। इस प्रथा के अनुसार एक महिला अपने पतियों को अपने ससुराल में ही रख सकती हैं। यह प्रथा समाज में महिलाओं की मजबूत स्थिति को दर्शाती है।
छत्तीसगढ़ की धुरवा जनजाति की अनूठी शादी प्रथा
छत्तीसगढ़ की धुरवा जनजाति में भाई-बहन आपस में विवाह करते हैं। यहाँ ममेरे और फुफेरे भाई-बहन के बीच विवाह होता है। यह प्रथा समाज में संपत्ति और रिश्तों की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।
राजस्थान और गुजरात की गरासिया जनजाति में विवाह प्रथा
राजस्थान के कुछ जिलों और गुजरात में गरासिया जनजाति में शादी से पहले लड़के और लड़कियाँ एक साथ रहते हैं और यदि उन्हें बच्चा पैदा नहीं होता है तो उस रिश्ते को मान्यता नहीं मिलती है। यह प्रथा समाज में पारिवारिक और जनसंख्या संतुलन को बनाए रखने का एक तरीका है।
दक्षिण भारत में मामा-भांजी विवाह प्रथा
दक्षिण भारत में मामा-भांजी के विवाह को सामाजिक रूप से स्वीकृति प्राप्त है। इस प्रथा के पीछे मुख्य वजह संपत्ति और पारिवारिक हितों की सुरक्षा है।