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सर्दियों के मौसम में आवारा पशुओं से खेत की रखवाली का काम होगा अपने आप, खेत में कोई पशु घुसा तो अलर्ट कर देगा सिस्टम

गीडा गोरखपुर विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी अविनाश वरुण ने 'ग्रीन लैंड माइन अलार्म' नामक एक उपकरण बनाया है जो किसानों की फसल को जानवरों से बचाता है।
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stray animals issue for up farmers
   

गीडा गोरखपुर विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी अविनाश वरुण ने 'ग्रीन लैंड माइन अलार्म' नामक एक उपकरण बनाया है जो किसानों की फसल को जानवरों से बचाता है। यह उपकरण किसानों को छुट्टा पशुओं से खेतों की फसल बचाने में मदद करेगा। प्रबंधन संस्थान के छात्रों की उपलब्धि से बहुत खुश है, लेकिन विद्यार्थी भी उत्सुक हैं।

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किसानों के लिए आवारा पशु बड़ी समस्या

भारत के किसानों, खासकर पूर्वांचल के किसानों, की सबसे बड़ी समस्या आवारा पशु और छुट्टी पशु हैं. शासन और प्रशासन ने इन्हें रोकने के लिए समय-समय पर विशेष अभियान चलाए हैं, लेकिन इनका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।

किसानों की फसलों को हर दिन आवारा पशु नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अब आईटीएम के एक छात्र ने ऐसा उपकरण बनाया है जिससे किसानों को इस बड़ी समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिलेगा।

यह उपकरण इस तरह काम करेगा

इस उपकरण को बनाने वाले विद्यार्थी अविनाश वरुण ने बताया कि "ग्रीन लैंडमाइन" को खेतों के किनारे लगाया जा सकता है, और यह स्टिल के बक्से में बनाया गया है। इसमें 3.7 वोल्ट की बैटरी है, जो एक बार चार्ज करने पर छह से आठ महीने तक चलती है। खेतों के किनारे इसे लगाया जा सकता है।

इस उपकरण में एक स्विच सेंसर लगा है, जिस पर दबाव पड़ने पर सेंसर एक्टिवेट हो जाता है. जैसे ही कोई पशु किसान के खेत में प्रवेश करेगा, ग्रीन सेंसर एक्टिव हो जाएगा, जिससे तेज अलार्म बजने लगेगा और लाइट ब्लीकिंग के साथ तेज अलार्म बजने लगेगा. इससे किसान वक्त रहते जानवरों से बच सकेंगे।

बनाने में किन चीजों का हुआ है इस्तेमाल, कितना आया खर्च?

ग्रीन लैंडमाइन का वजन लगभग 200 ग्राम होता है। इसके निर्माण में ट्रांसमीटर, अलार्म, प्रकाश और स्विच का उपयोग किया गया है। इसे बनाने में 300-400 रुपये खर्च आए हैं। इसे बनाने में लगभग सात दिन लगे।

योजना के दौरान विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करने वाले शिक्षक का कहना है कि इसे अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा और यदि मंजूरी मिलती है तो इसे व्यापक रूप से बनाया जा सकेगा। जो किसानों को भविष्य में बहुत फायदेमंद हो सकता है।

प्रबंधन विद्यार्थियों की सफलता पर क्या कहता है?

संस्थान के निदेशक डॉ एन के सिंह ने बताया कि इस बार राष्ट्रीय किसान दिवस पर कॉलेज के इनोवेशन सेल ने पशुओं से किसानों की फसल की सुरक्षा के लिए इस उपकरण को बनाया है।

जो बहुत सराहनीय है। संस्थान के अध्यक्ष और सभी शिक्षकों ने छात्र की इस सफलता पर बधाई दी है।प्रबंधन संस्थान की सफलता से बहुत खुश है, लेकिन संस्थान के छात्र भी बहुत उत्साहित हैं।