home page

इस जगह शादी से पहले ही लड़कियां हो सकती है प्रेग्नेंट, पसंद के लड़के के साथ मौज मस्ती करने के लिए मिलती है खुली छूट

भारतीय समाज में जहां लिव इन रिलेशनशिप आज भी कई विवादों का विषय बना हुआ है। एक जनजाति के बारे में आपको बताएंगे जहां की प्रथा आज के ज़माने के लिव इन रिलेशनशिप से मिलती-जुलती है।
 | 
garasia tribe
   

भारतीय समाज में जहां लिव इन रिलेशनशिप आज भी कई विवादों का विषय बना हुआ है। एक जनजाति के बारे में आपको बताएंगे जहां की प्रथा आज के ज़माने के लिव इन रिलेशनशिप से मिलती-जुलती है। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे रिश्ते से संतान पैदा करना आज भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है लेकिन इस समुदाय में ये आम बात है।

लिव इन रिलेशनशिप को लेकर समाज में आज भी विवाद रहता है, लेकिन गरासिया जनजाति में ये परंपरा 1000 हज़ार से चली आ रही है। यहां पहले लड़का-लड़की साथ रहकर बच्चे पैदा करते हैं, फिर ही शादी के बारे में सोचते हैं। ये जनजाति कोई अफ्रीका या अमेज़न के जंगलों में नहीं पाई जाती है।

बल्कि ये हमारे ही देश में गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में रहती है। इनकी सोच अपने ज़माने से काफी आगे की है, यही वजह है कि जो हमारी मेट्रो सिटीज़ में आज हो रहा है, वो इन्होंने सदियों पहले ही कर लिया था।

स्वतंत्रता और समर्थन की मिसाल

लड़कियों को अपने लिए लड़का चुनने की पूरी आज़ादी है। इसके लिए एक 2 दिन का मेला लगाया जाता है। यहां पर वे अपने पसंद के लड़के को चुनकर उसके साथ भाग जाती हैं। फिर वापसी होने पर वे बिना शादी के एक साथ रहना शुरू कर देते हैं। परिवार को इस पर ऐतराज़ नहीं होता है।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

बल्कि लड़के के घरवाले लड़की के परिवार को कुछ पैसे भी देते हैं। कपल पर शादी का कोई दबाव नहीं डाला जाता है और वे इस रिश्ते से संतान भी पैदा करते हैं। जब तक बच्चा न हो जाए, तब तक वे शादी के बारे में नहीं सोचते लेकिन बच्चे के बाद ये उनकी मर्ज़ी होती है कि शादी करनी है या नहीं।

समुदाय में लड़कियों की स्वतंत्रता

दिलचस्प बात ये भी है कि लड़की पर किसी एक ही लड़के के साथ ज़िंदगी बिताने का कोई दबाव नहीं होता है। अगर वो साथ में नहीं रहना चाहते हैं तो लड़की अपने दूसरा पार्टनर चुन सकती है। करना ये होता है कि नया पार्टनर, पुराने पार्टनर से ज्यादा पैसे देता है, तब ही लड़की उसके साथ जा सकती है।

यहां भी शादी का कोई दबाव नहीं होता है। कई लोगों की शादी को बुजुर्ग होने के बाद उनके बच्चे ही कराते हैं और वो अपनी पूरी ज़िंदगी बिना शादी के एक -दूसरे के साथ रहते हुए गुजार देते हैं।

'दापा प्रथा' - एक अनोखी परंपरा

आप भी जानना चाहेंगे कि भला इतनी मॉडर्न प्रथा गरासिया जनजाति में सदियों पहले कौन लाया होगा? मान्यता है कि इसी समुदाय के 4 भाइयों में से 3 भाइयों ने शादी कर ली थी, जबकि एक भाई किसी लड़की के साथ यूं ही रहने लगा। इनमें से 3 भाइयों के तो बच्चे नहीं हुए लेकिन चौथे भाई की संतान ने जन्म लिया।

तभी से जनजाति के लोगों ने इसे परंपरा बना दिया। ये लोग इसे ‘दापा प्रथा’ कहते हैं। इस प्रथा के तहत जब भी शादी होती है, इसका सारा खर्च दूल्हे की ओर से उठाया जाता है और शादी भी उसी के यहां होती है।