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भारत में इस जगह आलू-प्याज़ के रेट में बिकता है काजू, आधा-किलो नही बल्कि कट्टे या बोरी भरकर ख़रीदते है लोग

खुदरा बाजार में खाने-पीने की चीजें आमतौर पर सबसे महंगी होती हैं, लेकिन एक बाजार ऐसा भी है, जहां आपको खाने-पीने की चीजें बेहद कम दाम में मिल जाती हैं। इस बाजार को थोक बाजार कहा जाता है। इस बाजार में आपको काजू जैसी चीजें मिल सकती हैं, जो आमतौर पर आलू, प्याज और टमाटर से कहीं ज्यादा महंगी होती हैं।
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Cashew market jamtara

खुदरा बाजार में खाने-पीने की चीजें आमतौर पर सबसे महंगी होती हैं, लेकिन एक बाजार ऐसा भी है, जहां आपको खाने-पीने की चीजें बेहद कम दाम में मिल जाती हैं। इस बाजार को थोक बाजार कहा जाता है। इस बाजार में आपको काजू जैसी चीजें मिल सकती हैं, जो आमतौर पर आलू, प्याज और टमाटर से कहीं ज्यादा महंगी होती हैं।

वजन कम करने में है मददगार

मोटापा एक समस्या है और जहां वजन कम करने के लिए आहार नियंत्रण की सलाह दी जाती है वहीं वजन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण अस्वस्थ जीवनशैली है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो आप काजू, बादाम, मखाना और खजूर खाकर देख सकते हैं। ये चीजें बहुत महंगी होती हैं, लेकिन ये आपको झारखंड के बाजार में मिल जाती हैं, जहां सबसे सस्ता काजू 40-50 रुपये प्रति किलो बिकता है.

सस्‍ता काजू की असली वजह 

जामताड़ा में काजू के भाव में आलू और प्याज मिल जाता है. देश के अन्य हिस्सों में अच्छे काजू 700-800 रुपये प्रति किलो से कम में नहीं मिल रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जामताड़ा में हर साल काफी मात्रा में काजू का उत्पादन होता है और इसी वजह से ये सबसे ज़्यादा सस्ता काजू यहाँ मिलता है.

पैदावार भी होती है तगड़ी

जामताड़ा एक ऐसी जगह है जहां लोग काजू की फसल उगाते हैं। बहुत सारे बगीचे भी हैं जहाँ लोग फल और सब्जियाँ उगाते हैं। यहां के लोग अपनी उपज बहुत कम कीमतों पर बेचते हैं, लेकिन झारखंड के पाकुड़, दुमका, सरायकेल और देवघर जैसे अन्य स्थानों पर काजू का उत्पादन बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके लिए जलवायु बेहतर होती है। जब पैदावार तगड़ी हो रही है तो यहाँ के किसान कम क़ीमत में ही काजू बेच देते है.

कम क़ीमतों के कारण ख़रीदने वालों की लगी भीड़

जामताड़ा की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ काजू की बंपर पैदावार होती है और जब इंटरनेट के माध्यम से लोगों को यहाँ काजू के रेट का पता चला तो ख़रीदने वालों की लाइनें भी लग गई. ड्राई फ़्रूट्स कंपनियाँ भी किसानो के साथ काम करने के लिए आगे आई है. इससे ये तो साफ़ है की अब जामताड़ा भी तरक़्क़ी की राह पर आगे बढ़ने वाला है.