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भारत में यहां लोग आग की जगह पानी को साक्षी मानकर लेते है फेरे, वजह भी आपको हैरान कर देगी

भारत (India) अपनी विविधताओं (Diversity) के लिए विख्यात है। यहां का हर राज्य (State), हर क्षेत्र (Region), हर संप्रदाय (Community) अपनी अनूठी परंपराओं (Traditions) और रीति-रिवाजों (Customs) के लिए जाना जाता है।
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भारत में यहां लोग आग की जगह पानी को साक्षी मानकर लेते है फेरे, वजह भी आपको हैरान कर देगी
   

भारत (India) अपनी विविधताओं (Diversity) के लिए विख्यात है। यहां का हर राज्य (State), हर क्षेत्र (Region), हर संप्रदाय (Community) अपनी अनूठी परंपराओं (Traditions) और रीति-रिवाजों (Customs) के लिए जाना जाता है। चाहे वह पूजा-पद्धति (Worship methods) हो, शादी-विवाह (Marriage ceremonies) हो या फिर अन्य कोई सामाजिक उत्सव (Social festivals), हर एक में विविधता की झलक मिलती है।

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छत्तीसगढ़ की अनोखी शादी परंपरा

भारतीय सनातन परंपरा (Indian Sanatan tradition) में शादी के समय अग्नि (Fire) को साक्षी माना जाता है। लेकिन भारत के एक कोने में एक ऐसी अनोखी प्रथा है जहां शादियां पानी (Water) को साक्षी मानकर संपन्न की जाती हैं। यह विशेष रिवाज छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के बस्तर (Bastar) जिले में पाया जाता है, जहां के आदिवासी समाज (Tribal society) द्वारा यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है।

पानी को साक्षी मानने का कारण

बस्तर के आदिवासी (Tribals of Bastar) पानी को साक्षी मानकर शादी इसलिए करते हैं क्योंकि वे शादी के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची (Wasteful expenditure) से बचना चाहते हैं। इस अद्वितीय परंपरा (Unique tradition) के माध्यम से वे न केवल समाज में एक मिसाल कायम करते हैं बल्कि पर्यावरण (Environment) के प्रति अपनी गहरी आस्था और सम्मान का भी प्रदर्शन करते हैं।

परंपरा की विशेषताएं

यह परंपरा आज से नहीं बल्कि कई सौ सालों (Centuries) से चली आ रही है। इस प्रथा की सबसे बड़ी विशेषता (Feature) यह है कि यह समाज में व्याप्त दिखावटी संस्कृति (Show-off culture) और अनावश्यक खर्चों (Unnecessary expenses) के खिलाफ एक मजबूत संदेश (Strong message) देती है। इसके माध्यम से आदिवासी समाज सादगी (Simplicity) और प्रकृति के प्रति अपने प्यार (Love for nature) को भी प्रकट करता है।

समाज में इस परंपरा का महत्व

इस परंपरा के माध्यम से बस्तर के आदिवासी समाज ने न केवल अपनी परंपरागत विरासत (Heritage) को संजोया है बल्कि एक सुसंगत समाजिक संदेश (Social message) भी दिया है। यह दर्शाता है कि कैसे प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूकता (Environmental awareness) के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी (Social responsibility) और सादगी को जीवन का एक हिस्सा बनाया जा सकता है।