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इस राज्य में अब पी सकेंगे अपने फेवरेट ब्रांड्स की शराब, सरकारी दुकानों पर इस दिन मिलेगी सुविधा

पिछले पांच वर्षों से छत्तीसगढ़ के शराब प्रेमियों को अपनी पसंद की शराब न मिल पाने की समस्या का सामना करना पड़ा है.
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पिछले पांच वर्षों से छत्तीसगढ़ के शराब प्रेमियों को अपनी पसंद की शराब न मिल पाने की समस्या का सामना करना पड़ा है. माध्यम और बढ़िया क्वालिटी की शराब की कमी के कारण, उपभोक्ताओं को घटिया गुणवत्ता वाली शराब पर निर्भर रहना पड़ता था वह भी पड़ोसी राज्यों से 30 से 40 प्रतिशत अधिक मूल्य पर. पैसे वाले लोग नागपुर और मध्य प्रदेश से अपनी पसंद की शराब मंगवा लेते थे जबकि सामान्य औरगरीब लोगों लोगों को स्थानीय ब्रांड्स पर ही निर्भर रहना पड़ता था.

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पुरानी व्यवस्था की बहाली और उसके असर

नई सरकार ने लाइसेंसी सिस्टम (licensing system) को समाप्त कर दिया है जिससे 11 सितंबर से सभी ब्रांड्स की शराब मिलेगी. पिछली सरकार ने नियम बदलकर एफएल-10 लागू किया था जिसमें शराब खरीदी का काम लायसेंसी प्रणाली के तहत बिचौलियों को सौंप दिया गया था. इस प्रणाली में बिचौलिए वही शराब यहां सप्लाई करते थे जिसके लिए उन्हें मोटा कमीशन (high commission) मिलता था.

शराब उपलब्धता की चुनौतियां और समाधान

लायसेंसी सिस्टम के दौरान गर्मी के दिनों में शराब प्रेमी बड़वाइजर और कालबर्ग जैसे अच्छी ब्रांड के बियर पीने के लिए परेशान रहते थे. सरकारी दुकानों में सिर्फ एक लोकल कंपनी की सिम्बा मिलती थी जिससे शराब प्रेमियों को मजबूरन संतोष करना पड़ता था. नई सरकार ने छत्तीसगढ़ में ब्रेवरेज कारपोरेशन के माध्यम से इस सिस्टम को फिर से पुरानी व्यवस्था में बदल दिया है जिससे सभी ब्रांड्स की शराब आसानी से मिलने लगी है.

नई व्यवस्था के तहत बदलाव और भविष्य की दिशा

आईएएस श्याम धावडे को ब्रेवरेज कारपोरेशन का कमिश्नर (Beverage Corporation Commissioner) बनाया गया है. धावडे ने बताया कि अब छत्तीसगढ़ में सभी ब्रांड्स की शराब की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है और 34 शराब कंपनियों से एग्रीमेंट किया गया है. इस बदलाव से राज्य में शराब की उपलब्धता में व्यापक सुधार हुआ है, और शराब प्रेमियों को अब उनकी पसंद की शराब आसानी से मिल सकेगी, जिससे उनकी जीवनशैली में सुविधा और आनंद दोनों में वृद्धि होगी.