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राजस्थान में इस गांव में मिलता है ऐसा पत्थर जो दूध को बना देता है दही, भारत ही नही बल्कि विदेशों में भी खूब है इस पत्थर की डिमांड

हर साल लाखों लोग हमारे देश के कई ऐतिहासिक स्थानों पर आते हैं। इसमें बहुत से विदेशी पर्यटक भी हैं। आपको बता दें कि राजस्थान भारत में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते रहते है।
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हर साल लाखों लोग हमारे देश के कई ऐतिहासिक स्थानों पर आते हैं। इसमें बहुत से विदेशी पर्यटक भी हैं। आपको बता दें कि राजस्थान भारत में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते रहते है। राजस्थान में इतनी सारी ऐतिहासिक जगहें और इमारतें हैं कि कोई भी देखकर हैरान रह जाएगा। आज हम राजस्थान के एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक खास पत्थर मिलता है जिसे दूध से दही बनाया जाता है। विषय: स्वर्णनगरी नामक पर्यटन स्थल जैसलमेर भी है। यहाँ के पीले पत्थर ने दुनिया भर में नाम कमाया है।

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जैसलमेर से लगभग इतनी दूरी है पत्थर

जैसलमेर से लगभग पचास किलोमीटर दूर हबरगांव में ऐसा ही पत्थर पाया जा सकता है। जो अजीब है। इस पत्थर को जानकर आप हैरान हो जाएंगे। यह पत्थर दूध जमा कर दही बनाता है। हम अक्सर दूध से दही जमाने के लिए छाछ का उपयोग करते हैं। लेकिन राजस्थान में स्थित इस गांव की कहानी कुछ अलग है। यहां के लोग सैकड़ों सालों से दूध से दही बनाने के लिए इस चमत्कारी पत्थर का उपयोग करते आ रहे हैं।

राजस्थान के इस गांव में एक चमत्कारी पत्थर मिलता है जो दही बनाता है

यह गांव पहले हाबूर था, लेकिन अब पूनमनगर कहलाता है। इस गांव के पत्थर में कई गुण हैं। स्थानीय लोग इस पत्थर को 'हबूरिया भाटा' भी कहते हैं। इस गांव के लोग इस चमत्कारी पत्थर से दही बनाते हैं। इस पत्थर से मिलने पर दूध जम जाता है। विशेष गुणों के कारण यह रत्न देश-विदेश में बहुत लोकप्रिय है। यहां आने वाले लोग हाबूर पत्थर से बने बर्तन भी अपने साथ ले जाते हैं। यहां इस पत्थर से बने बर्तनों की हमेशा मांग होती है।

कुछ अध्ययनों ने पाया कि इस पत्थर में दही बनाने के लिए आवश्यक सभी रसायन मौजूद हैं। जो दूध को दही में परिवर्तित करता है। इस पत्थर में फेनिलएलनिन, रिफटाफीन, टायरोसिन और अमीनो एसिड हैं। यह बताया जाना चाहिए कि ये रसायन दूध से दही बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इस पत्थर से बना दही मीठा और सुगंधित होता है।

राजस्थान के इस गांव में एक चमत्कारी पत्थर मिलता है जो दही बनाता है

पत्थर के इन बर्तनों में दही और इससे बनने वाली लस्सी देश-विदेश में पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यह चमत्कारी पत्थर हाबूर गांव के भूमिगत क्षेत्र से निकलता है और कई खनिजों और अन्य अवशेषों से भरा है। यह कहा जाता है कि राजस्थान का यह रेगिस्तानी जिला जैसलमेर से पहले पूरी तरह से समुद्र था, लेकिन सूखने के बाद यह कई समुद्री जीवों के अवशेषों से भर गया।

इसके बाद वे पहाड़ बन गए। यह गांव पत्थर से बर्तन, मूर्ति और खिलौने बनाता है। यह चमकीला और हल्का सुनहरा है। इससे बनाई गई मूर्तिकला लोगों को बहुत आकर्षित करती है। ग्रामीणों का कहना है कि ताजमहल में भी यह पत्थर लगा हुआ है।