प्राइवेट और सरकारी बैंक में किस बैंक में खाता खुलवाना है ज्यादा सही, होशियार लोग भी नही जानते होंगे ये खास बात
बैंकिंग सेवाएं आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी हैं। पहले जहां लोग बैंक शब्द से अनजान थे वहीं आज बिना बैंकिंग सुविधा के हमारे अनेक काम अधूरे रह जाते हैं। भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सरकारी और प्राइवेट बैंक दो प्रमुख बैंको में कौनसा बढ़िया हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है।
RBI
आरबीआई जो भारत का केंद्रीय बैंक है बैंकिंग सेक्टर के नियमन और नियंत्रण में मुख्य भूमिका निभाता है। यह सभी बैंकों के लिए नीतियों और मानकों का निर्धारण करता है चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट।
हिस्सेदारी और प्रबंधन में अंतर
सरकारी और प्राइवेट बैंकों में मूलभूत अंतर हिस्सेदारी और प्रबंधन के स्वरूप में है। सरकारी बैंकों में ज्यादा हिस्सेदारी सरकार की होती है जबकि प्राइवेट बैंकों में यह निजी शेयरधारकों और संस्थानों के हाथ में होती है।
प्रबंधन और सेवा की गुणवत्ता
प्राइवेट बैंकों को उनके तेज़ और उपभोक्ता-केंद्रित सेवाओं के लिए जाना जाता है। वहीं सरकारी बैंक विश्वसनीयता और सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि सरकारी बैंकों में भी ग्राहक सेवाओं और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
खाता संतुलन और अन्य सुविधाएँ
सरकारी बैंकों में खाता खोलने के लिए न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता आमतौर पर कम होती है जबकि प्राइवेट बैंक अधिक प्रीमियम सेवाएं और उच्च न्यूनतम बैलेंस आवश्यकता रखते हैं।