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बैंक खाते की इन 3 ट्रांजेक्शन पर आयकर विभाग की रहती है निगाहें, ये गलती हुई तो आ जाएगा नोटिस

वित्तीय लेनदेन (Financial Transactions) के इस युग में, बैंक और आयकर विभाग (Income Tax Department) के बीच सूचना का आदान-प्रदान एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय लेनदेन में...
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वित्तीय लेनदेन (Financial Transactions) के इस युग में, बैंक और आयकर विभाग (Income Tax Department) के बीच सूचना का आदान-प्रदान एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता (Transparency) बनी रहे और कर चोरी (Tax Evasion) पर नकेल कसी जा सके।

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लेकिन कुछ विशेष ट्रांजैक्शंस हैं जिन पर आयकर विभाग विशेष नजर रखता है। इन तीन ट्रांजैक्शन्स पर विशेष ध्यान देने का मुख्य कारण यह है कि ये बड़ी राशियों के लेनदेन (Transactions) को दर्शाते हैं, जिससे कर चोरी की संभावना बढ़ जाती है।

आयकर विभाग द्वारा इन ट्रांजैक्शन्स की निगरानी करना न केवल टैक्स बेस (Tax Base) को व्यापक बनाने में मदद करता है, बल्कि यह वित्तीय प्रणाली (Financial System) में ईमानदारी और पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करता है।

बड़े कैश डिपॉजिट पर विशेष ध्यान

अगर किसी सेविंग खाते (Savings Account) में 10 लाख रुपये से अधिक कैश जमा (Cash Deposit) किया जाता है, तो यह आयकर विभाग के लिए एक अलर्ट का कारण बनता है। इस तरह के लेनदेन से यह संकेत मिलता है कि अकाउंट होल्डर अपने खाते में बड़ी मात्रा में धनराशि (Amount) को संचित कर रहा है।

जिस पर विभाग अच्छा इंटरेस्ट (Interest) भी प्राप्त कर सकता है। ऐसे में, विभाग इस बात की जांच करता है कि इस धनराशि के स्रोत क्या हैं और क्या ये सभी स्रोत वैध (Legitimate) हैं।

करंट अकाउंट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन

वहीं, यदि करंट अकाउंट (Current Account) में 50 लाख रुपये से अधिक का कैश जमा होता है या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के बिल का एक लाख रुपये से अधिक का कैश में सैटलमेंट होता है, तो इसे भी बैंक द्वारा आयकर विभाग के साथ साझा किया जाता है।

यह जानकारी आयकर विभाग को उन व्यक्तियों या संस्थाओं की पहचान करने में मदद करती है जो बड़े पैमाने पर नकदी लेनदेन (Cash Transactions) कर रहे हैं।

एफडी और इस पर अर्जित ब्याज

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) जो एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा का होता है, उस पर भी आयकर विभाग की नजर रहती है। बैंक फॉर्म 61A के माध्यम से इस तरह की जानकारी को इनकम टैक्स विभाग के साथ साझा करते हैं। इस प्रकार की एफडी पर अर्जित ब्याज (Interest Earned) भी कर योग्य (Taxable) होता है और इसे विभाग द्वारा करीबी से देखा जाता है।