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भारत में भैंस और गाय की गिनती का काम हुआ शुरू, इन लोगों को मिलेगी नौकरी

भारत में 21वीं पशुधन जनगणना शुरू हो चुकी है जो हर पांच साल में होती है.
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 भारत में 21वीं पशुधन जनगणना शुरू हो चुकी है जो हर पांच साल में होती है. यह जनगणना सरकार को ग्रामीण आर्थिकी और पशुपालन क्षेत्र की वास्तविक स्थिति की सही जानकारी प्रदान करती है. इससे सरकार पशुपालन से जुड़ी बेहतर नीतियां और योजनाएं तैयार कर सकती है.

पशुधन जनगणना की प्रक्रिया 

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इस बार पशुधन जनगणना में नई तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे मोबाइल ऐप और ऑनलाइन सिस्टम. यह प्रक्रिया गांवों में रोजगार का सहारा बनने वाले पशुधन की सटीक गणना सुनिश्चित करती है.

गिनती में शामिल प्रमुख पशु 

इस जनगणना में गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी सहित 15 प्रकार के जानवरों की गिनती की जाती है. यह डेटा पशुपालन के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है.

देसी नस्लों पर विशेष ध्यान 

इस बार जनगणना में 219 देसी नस्लों की विस्तृत गिनती की जा रही है. यह पहल क्षेत्रीय नस्लों की संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए उठाया गया कदम है.

चरवाहों की जनगणना 

चरवाहों के पशुओं की अलग से गिनती की जा रही है, जिससे उनके लिए विशेष योजनाएं बनाई जा सकें. यह चरवाह समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

महिलाओं की भागीदारी 

पशुधन जनगणना में महिलाओं की भागीदारी को भी मापा जा रहा है, ताकि उनके योगदान को सही तरीके से समझा और सराहा जा सके.

रोजगार के अवसर 

इस जनगणना के चलते देश में करीब 1 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. यह पशुधन जनगणना न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से भी ग्रामीण भारत के लिए लाभकारी सिद्ध होगी.