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भारत के ऐसा गांव जहां नही मनाते रक्षाबंधन का त्यौहार, भाइयों को लगता है इस बात कर डर

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुर चक गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. यह अनोखी परंपरा एक पुरानी कहानी से जुड़ी है जो आज भी गांव की संस्कृति में गहराई से बसी हुई है.
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Raksha Bandhan is not celebrated: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुर चक गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. यह अनोखी परंपरा एक पुरानी कहानी से जुड़ी है जो आज भी गांव की संस्कृति में गहराई से बसी हुई है.

बेनीपुर चक की अनोखी परंपरा

बेनीपुर चक एक छोटा सा गांव जो अपनी एक अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है वहां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. पूरे भारत में जहां रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है वहीं इस गांव में इसे मनाने की परंपरा कभी शुरू ही नहीं हुई. इसके पीछे का कारण एक पुरानी कहानी से जुड़ा हुआ है जिसने गांव की सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया है.

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कहानी की जड़ें

यह कहानी शुरू होती है अलीगढ़ की अतरौली तहसील के सेमराई गांव से, जहां एक ठाकुर परिवार की बेटी ने यादव परिवार के बेटों को राखी बांधना शुरू किया था. एक वर्ष इस ठाकुर की बेटी ने राखी के उपहार के रूप में जमींदारी मांग ली, जिससे जमींदार को गहरा धक्का लगा और उन्होंने गांव छोड़ने का निर्णय लिया. यह घटना बेनीपुर चक में रक्षाबंधन न मनाने की परंपरा का आधार बनी.

परंपरा का पालन और समाज पर असर

बेनीपुर चक गांव के यादव परिवार जो मेहर और बकिया गौत्र से संबंधित हैं आज भी इस परंपरा का कड़ाई से पालन करते हैं. इस अनूठी परंपरा के कारण, गांव के लोग राखी देखकर दूर भागते हैं और कोई भी भाई अपनी बहन से राखी नहीं बंधवाता है. यह परंपरा न केवल बेनीपुर चक में बल्कि आसपास के गांवों में भी प्रचलित है जहां यादव परिवार इसे सख्ती से निभाते हैं.

समाज में परिवर्तन की आवश्यकता

इस परंपरा के खिलाफ कई बार आवाज उठाई गई है, लेकिन अब तक कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है. गांव के कई युवा और समाज सुधारक इस परंपरा को समाप्त करने के पक्ष में हैं, ताकि भाई-बहन के बीच का प्यार और सम्मान बना रहे और वे खुलकर रक्षाबंधन मना सकें.