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Indian Railway: आज भी भारत के इस रेल्वे ट्रैक पर अंग्रेजो का है कब्जा, हर साल देना पड़ता है करोड़ों रूपए

भारतीय रेलवे के इतिहास में शकुंतला रेलवे ट्रैक एक अनोखा और रोचक अध्याय है. यह ट्रैक आज भी एक ब्रिटिश कंपनी के स्वामित्व में है जो भारतीय रेलवे के समग्र इतिहास में एक विचित्र स्थिति प्रस्तुत करता है.
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Indian Railway: भारतीय रेलवे के इतिहास में शकुंतला रेलवे ट्रैक एक अनोखा और रोचक अध्याय है. यह ट्रैक आज भी एक ब्रिटिश कंपनी के स्वामित्व में है जो भारतीय रेलवे के समग्र इतिहास में एक विचित्र स्थिति प्रस्तुत करता है. इस आर्टिकल में हम इस अद्वितीय रेलवे ट्रैक के इतिहास, वर्तमान स्थिति और इससे जुड़ी विशेषताओं का विस्तार से परिचय देंगे.

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शकुंतला रेलवे

शकुंतला रेलवे ट्रैक जो महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर तक 190 किलोमीटर लंबा है भारतीय रेलवे की एक अनोखी विरासत है. यह रेलवे ट्रैक अंग्रेजों के शासनकाल में बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य कपास को मुंबई पोर्ट तक पहुंचाना था. इस ट्रैक का निर्माण क्लिक निक्सन एंड कंपनी ने किया था जो आज भी इसका स्वामित्व रखती है.

शकुंतला पैसेंजर

इस ट्रैक पर संचालित होने वाली एकमात्र ट्रेन शकुंतला पैसेंजर थी, जिसके नाम पर इस रेलवे ट्रैक का नाम भी पड़ा. यह ट्रेन मूलतः स्टीम इंजन से चलती थी, जिसे 1994 में डीजल इंजन में परिवर्तित कर दिया गया. इस ट्रेन की यात्रा लगभग 6-7 घंटे की होती है जिसमें यह कई महत्वपूर्ण स्टेशनों पर रुकती है.

आजादी के बाद का समझौता और वर्तमान स्थिति

भारत के आजाद होने के बाद भारतीय रेलवे और क्लिक निक्सन एंड कंपनी के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत भारतीय रेलवे इस कंपनी को हर साल रॉयल्टी के रूप में एक बड़ी रकम देता है. यह समझौता आज भी जारी है, और इस ट्रैक का पूर्ण स्वामित्व अभी भी ब्रिटेन की कंपनी के पास है.

शकुंतला रेलवे की चुनौतियाँ और भविष्य

2020 से शकुंतला पैसेंजर का संचालन बंद है क्योंकि ट्रैक की हालत जर्जर हो चुकी है और मरम्मत का काम नहीं हुआ है. इस ट्रैक की मरम्मत और उसे दोबारा शुरू करने की मांग स्थानीय लोगों के द्वारा लगातार की जा रही है. भविष्य में इस ट्रैक को फिर से सक्रिय करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं ताकि यह फिर से यात्रियों की सेवा स्टार्ट हो सके.