home page

भारत की सबसे सुस्त ट्रेन जो 5 घंटे में तय करती है 46KM का सफर, फिर भी मजे से सफर करते है लोग

भारतीय रेलवे की बात आते ही दिमाग में अलग अलग तरह के एक विशाल नेटवर्क की तस्वीर उभर आती है। एक ओर जहां शताब्दी तेजस जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसी भी ट्रेनें हैं जो अपनी धीमी गति के लिए जानी जाती हैं।
 | 
indian-railways-this-is-the-slowest-train
   

भारतीय रेलवे की बात आते ही दिमाग में अलग अलग तरह के एक विशाल नेटवर्क की तस्वीर उभर आती है। एक ओर जहां शताब्दी तेजस जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसी भी ट्रेनें हैं जो अपनी धीमी गति के लिए जानी जाती हैं। आज हम आपको ले चलेंगे भारत की एक ऐसी धीमी ट्रेन के सफर पर जो न केवल अपनी गति के लिए, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व और खूबसूरती के लिए भी जानी जाती है।

भारत की सबसे धीमी गति वाली ट्रेन

मेट्टुपालयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर जिसे अक्सर भारत की सबसे धीमी ट्रेन माना जाता है यह मात्र 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है। इसकी यह गति यात्रियों को नीलगिरी की पहाड़ियों के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने का अनोखा अवसर मिलता है। यह ट्रेन मेट्टूपलयम से शुरू होकर ऊटी तक जाती है रास्ते में कन्नूर, लवडेल, वेलिंगटन जैसे कई स्टेशनों पर रुकती है।

विश्व विरासत में शामिल

इस ट्रेन का एक और खास पहलू यह है कि इसे यूनेस्को ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के विस्तार के रूप में विश्व विरासत के रूप में मान्यता दी है। यह ट्रेन अंग्रेजों के समय, 1899 में शुरू की गई थी और भाप से चलने वाली इस खूबसूरत ट्रेन ने अपने लंबे सफर में अनेक यादें और कहानियाँ समेटी हैं।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम

मेट्टुपालयम से सुबह 7:10 बजे चलकर दोपहर 12:00 बजे ऊटी पहुँचने वाली यह ट्रेन अपने मार्ग में आने वाली हरी-भरी वादियों, घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों के दृश्यों से यात्रियों का मन मोह लेती है। इस ट्रेन की यात्रा न केवल एक यात्रा है, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो यात्रियों को भारत की प्राकृतिक और ऐतिहासिक विरासत से रूबरू करवाता है।

यह भी पढ़ें; दोस्त के दिए आइडिया ने मजदूर को बना दिया लखपति, अब घर बैठे हो रही है लाखों में कमाई

विरासत और आधुनिकता का मेल

जब एक ओर भारतीय रेलवे वंदे भारत, तेजस और राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों के साथ आधुनिकता की ओर अग्रसर है, वहीं मेट्टुपालयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर जैसी ट्रेनें भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता को संजोए हुए हैं। इस तरह यह ट्रेन न केवल यात्रा का एक साधन है बल्कि भारत की अमूल्य विरासत का एक उद्धारण है।