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भारत का अनोखा स्कूल जहां फीस में रूपए नही बल्कि दी जाती है ये चीज, नाम सुनकर तो आप भी करेंगे वाहवाही

भारत में शिक्षा (Education) के क्षेत्र में कई स्कूल हैं जो उच्च शिक्षण शुल्क (High Tuition Fees) के लिए जाने जाते हैं। लेकिन नागालैंड (Nagaland) में एक ऐसा स्कूल है जो शिक्षा के लिए फीस के रूप में पैसे (Money) नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतलें (Plastic Bottles) मांगता है।
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भारत में शिक्षा (Education) के क्षेत्र में कई स्कूल हैं जो उच्च शिक्षण शुल्क (High Tuition Fees) के लिए जाने जाते हैं। लेकिन नागालैंड (Nagaland) में एक ऐसा स्कूल है जो शिक्षा के लिए फीस के रूप में पैसे (Money) नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतलें (Plastic Bottles) मांगता है। यह विचार न केवल आर्थिक बोझ (Economic Burden) को कम करता है बल्कि पर्यावरण (Environment) की सुरक्षा में भी योगदान देता है।

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फीस की अनोखी प्रणाली 

इस स्कूल में बच्चों से फीस के रूप में प्लास्टिक की बोतलें (Plastic Bottles) ली जाती हैं। यह प्रणाली (System) न केवल बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक (Aware) करती है बल्कि उन्हें अपने आस-पास के क्षेत्र को साफ (Clean) रखने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

स्कूल की लोकैशन 

यह खास स्कूल नागालैंड (Nagaland) में स्थित है। शिक्षा और पर्यटन मंत्री तेमजेन इमना अलॉन्ग (Temjen Imna Along) ने इस स्कूल के विचार को साझा करते हुए इसे अद्वितीय (Unique) और प्रेरणादायक (Inspirational) बताया। इस स्कूल के माध्यम से इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों (Tourists) और स्थानीय लोगों (Locals) द्वारा फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों का समाधान खोजा गया है।

स्कूल की स्थापना और उद्देश्य 

परमिता शर्मा (Parmita Sharma) और माजिन मुख्तार (Mazin Mukhtar) द्वारा 2016 में स्थापित, इस स्कूल का मुख्य उद्देश्य (Objective) शिक्षा और कचरा प्रबंधन (Waste Management) की दोहरी चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करना था। इन खराब प्लास्टिक बोतलों का उपयोग करके न केवल छात्रों को मुफ्त शिक्षा (Free Education) प्रदान की जाती है बल्कि इन्हें रीसाइकल (Recycle) करके सड़कों (Roads), ईटों (Bricks) और शौचालयों (Toilets) का निर्माण भी किया जाता है।