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भारत की इस ट्रेन को मंजिल तक पहुंचने में लगे 4 साल, इस ट्रेन से तेज तो बैलगाड़ी पहुँच जाए

जापान में ट्रेनें इतनी समय की पाबध होती हैं कि अगर वे एक मिनट भी लेट हो जाएं तो रेलवे द्वारा यात्रियों से माफी मांगी जाती है.
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indian railway most delayed train: जापान में ट्रेनें इतनी समय की पाबध होती हैं कि अगर वे एक मिनट भी लेट हो जाएं तो रेलवे द्वारा यात्रियों से माफी मांगी जाती है. वहीं भारतीय रेलवे (Indian Railways) में ट्रेनों का लेट होना इतना आम है कि इसे सामान्य समझा जाता है. यहाँ 8 से 10 घंटे की देरी तो रोज की बात है. हालांकि आज हम एक ऐसी ट्रेन की बात करेंगे जिसे अपनी मंजिल तक पहुंचने में साढ़े तीन साल का समय लग गया.

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थोड़े समय पहले की घटना

2014 में विशाखापत्तनम से चली एक मालगाड़ी (freight train) को उत्तर प्रदेश के बस्ती स्टेशन तक पहुँचने में जो समय लगा वह भारतीय रेलवे के इतिहास में दर्ज की जाने वाली सबसे बड़ी देरी थी. इस ट्रेन को यह यात्रा पूरी करने में जो सामान्य समय लगता उससे कई गुना ज्यादा समय लगा.

लेट होने का कारण

इस घटना की सबसे बड़ी विचित्रता यह है कि न तो रेलवे विभाग (Railway Department) द्वारा इस देरी का कोई कारण बताया गया और न ही इतने लंबे समय तक ट्रेन के लापता रहने की कोई वजह सामने आई. यह ट्रेन जब अपने गंतव्य पर पहुंची तो यह खबर खुद में एक बड़ी सुर्खी बन गई.

मालगाड़ी की देरी से आने की समस्याएँ

इस ट्रेन में 1361 खाद के पैकेट थे जो कि विशाखापत्तनम से बस्ती की 1400 किमी की दूरी को तय करने वाली थी. आम तौर पर इस दूरी को तय करने में करीब 42 घंटे लगते हैं, लेकिन इस ट्रेन के मामले में यह यात्रा साढ़े तीन साल में पूरी हुई. इस देरी के कारण बस्ती के कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें अपनी योजनाओं में काफी परिवर्तन करने पड़े.