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खाया तो बहुत बार होगा पर अब देख लीजिए की गन्ने के जूस से कैसे बनता है गुड, बनाने का तरीका बहुत कम लोगों को होता है पता

गुड़ जिसे भारतीय रसोई में एक प्राचीन और पारंपरिक स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है न केवल सर्दियों में बल्कि साल भर में अपनी अनूठी पहचान और फायदों के लिए महत्वपूर्ण है।
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गुड़ जिसे भारतीय रसोई में एक प्राचीन और पारंपरिक स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है न केवल सर्दियों में बल्कि साल भर में अपनी अनूठी पहचान और फायदों के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी गर्म तासीर के अलावा गुड़ में आयरन की प्रचुर मात्रा भी होती है जो शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।

गुड़ न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अनेक लाभ प्रदान करता है। इसकी प्राकृतिक मिठास और स्वास्थ्यवर्धक गुण इसे रिफाइंड शुगर का एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। इस प्रकार गुड़ का उपयोग न केवल हमारी रसोई में बल्कि हमारे जीवन में भी मिठास घोलता है।

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गुड़ उत्पादन की प्रारंभिक प्रक्रिया

गुड़ का उत्पादन भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है खासकर कोल्हापुर में जहां इसे विशेष भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त है। नवंबर से अप्रैल के महीने को गुड़ बनाने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। प्रक्रिया की शुरुआत खेत से गन्ने की कटाई से होती है जिसके बाद गन्ने का रस निकाला जाता है और उसे साफ किया जाता है।

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गुड़ बनाने की विस्तृत प्रक्रिया

गन्ने के रस को पहले छाना जाता है और फिर विशाल कड़ाहियों में उबाला जाता है। इस प्रक्रिया में तीन चरण होते हैं जहां पहले गन्दगी को भिंडी के रस द्वारा अलग किया जाता है जो झाग के रूप में ऊपर आ जाती है। इसके बाद रस को लगातार गर्म करके और उबाल कर गाढ़ा किया जाता है ताकि यह सख्त हो सके।

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गुड़ की मोल्डिंग और पैकेजिंग

गाढ़ा हुआ गुड़ अब एक फ्लैट ट्रे में डाला जाता है जहां इसे ठंडा किया जाता है। ठंडा होने के बाद गुड़ को मोल्ड्स में ढाला जाता है और फिर इसे पैक किया जाता है। यह पैक किया हुआ गुड़ बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है जहां इसकी मांग बहुत अधिक होती है।