दुधारू पशु खरीदते समय इन बातों के रखें ध्यान, नहीं तो उठाना पड़ सकता है नुकसान
buying milch animals: किसानों के लिए पशुपालन हमेशा से एक बढ़िया व्यवसाय रहा है जो न केवल खेती के साथ उनकी आय को बढ़ाता है बल्कि एक स्थायी कमाई का जरिया भी बनता है. खासकर डेयरी व्यवसाय में दुधारू पशुओं की उत्पादकता मुख्य होती है. इस व्यवसाय को भूमिहीन किसान भी अपना सकते हैं जिससे उन्हें भी आर्थिक समृद्धि मिल सकती है.
पशु चयन में नस्ल की पहचान और इसका महत्व
दुधारू पशु खरीदते समय नस्ल की सही पहचान अत्यंत आवश्यक है. यदि आप गाय खरीदने जा रहे हैं तो यह जानना जरूरी है कि गाय देशी नस्ल (Indian Breed) की है या विदेशी नस्ल (Foreign Breed) की. जैसे कि जर्सी नस्ल की गाय 20 से 25 लीटर दूध देती है, जबकि देशी नस्ल जैसे साहिवाल या गिर 10 से 15 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं.
गायों को पहचानने का सही तरीका
गायों को पहचानने के लिए पहला कदम प्रशिक्षण (Training) लेना होता है. होल्स्टीन फ्रिजियन जैसी विदेशी नस्ल की गाय, जिसमें सफेद और काले धब्बे होते हैं, 20 लीटर तक दूध देती है. गाय की थन की बनावट और मिल्क वेन का बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए, जो दूध देने की क्षमता का संकेत देता है.
देशी नस्ल की गायों की दूध देने की क्षमता
देशी नस्ल की गायें जैसे साहिवाल और गिर आमतौर पर 10 से 12 लीटर तक दूध देती हैं. ये गायें रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance) के मामले में विदेशी नस्लों से बेहतर होती हैं, जिससे वे देश के जलवायु और पर्यावरणीय शर्तों के अनुकूल अधिक सक्षम होती हैं.