जाने कितने साल तक के बच्चों को साथ में सुलाना है सही, बहुत कम माता पिता को होती है सही जानकारी
छोटे बच्चों के लिए अपने माता-पिता या पसंदीदा खिलौने के साथ सोना एक सामान्य और स्वाभाविक प्रवृत्ति है। यह उन्हें न केवल आराम देता है, बल्कि एक सुरक्षा की भावना भी प्रदान करता है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे अकेले सोना सीखें।
यह उन्हें अधिक आत्म-निर्भर और आत्म-विश्वासी बनने में मदद करता है। नीचे बताएं गए टिप्स आपके बच्चे को अकेले सोने की आदत विकसित करने में मदद कर सकते हैं। जो कि उनकी आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
ये भी पढ़िए :- रेंट पर मकान देते वक्त रेंट एग्रीमेंट के साथ बनवा ले ये कागज, आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा नही कर पाएगा किरायेदार
क्यों जरूरी है बच्चों को अकेले सोना सिखाना?
जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं, उनका अपने माता-पिता के साथ सोना बहुत स्वाभाविक होता है। हालांकि जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें अपने लिए सोने की आदत डालनी चाहिए। अकेले सोना उनमें स्वतंत्रता की भावना विकसित करता है और यह उन्हें अपनी दैनिक दिनचर्या में अधिक सक्षम बनाता है।
बच्चों को अकेले सोने की आदत कैसे डालें?
- धीरे-धीरे आदत डालें: अपने बच्चे को अचानक अकेले सोने के लिए विवश न करें। सप्ताह में कुछ दिन निर्धारित करें जब वह अकेले सोए। इससे उसे धीरे-धीरे अकेले सोने की आदत हो जाएगी।
- सोने से पहले की रूटीन बनाएं: सोने से पहले की गतिविधियाँ जैसे ब्रश करना, कहानी सुनना या शुभरात्रि कहना, बच्चे को आराम से सोने में मदद करती हैं।
- सुरक्षित माहौल प्रदान करें: अगर बच्चा अपने किसी पसंदीदा खिलौने या कंबल के बिना सो नहीं पाता, तो धीरे-धीरे उसे अन्य आरामदायक चीजें प्रदान करें जैसे कि एक नरम तकिया या हल्की रोशनी।
- रात में जागने पर संयम से काम लें: अगर बच्चा रात में उठकर आपके पास आता है, तो उसे शांति से उसके कमरे में वापस ले जाएं और उसे सोने में मदद करें।
- प्रोत्साहन दें: जब बच्चा अकेले सोने में सफल हो जाता है, तो उसे बताएं कि आपको उस पर गर्व है। यह उसे अगली बार भी अकेले सोने के लिए प्रेरित करेगा।