जाने हिंदुओ के लिए विक्रम संवत क्यों है इतना खास, जाने क्या होता है विक्रम संवत, 99 फ़ीसदी नही जानते ये बात
1 जनवरी विश्व भर में नया साल मनाया जाता है। इसलिए ग्रिगोरियन कैलेंडर को हर जगह नए साल और कामकाज का आधार मानते हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने अपने शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत को शामिल किया है, जिससे हिंदू नववर्ष का पंचांग फिर से चर्चा में आ गया है। इसके साथ ही लोगों ने इंटरनेट पर विक्रम संवत् का क्या अर्थ है?
हिंदूओं का नव वर्ष, या नव संवत्सर, जिस दिन से शुरू होता है, उसे विक्रम संवत् कहते हैं। इसकी तिथि अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से बदलती रहती है, लेकिन हिंदू पंचांग के चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को शुरू होती है। ज्यादातर लोग इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते। कोरा नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी लोग इसके बारे में पूछ रहे हैं। तो बताओ क्या होता है?
विक्रम संवत का क्या अर्थ है?
हिंदू नववर्ष का पहला दिन विक्रम संवत था। आज भी भारत के कई राज्यों में इसे गुड़ी पाड़वा, उगादि जैसे नामों से बुलाया जाता है। यह राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शुरू किया था और अंग्रेज़ी कैलेंडर से साठ साल आगे है। ज्योतिषी और गणितज्ञ दोनों इसे सटीक कालगणना मानते हैं।
इसकी अवधि 354 दिन की होती है, जिसमें से 10 दिन अतिरिक्त मास या चंद्रमास कहलाते हैं। चंद्र कला के प्रथम दिन से इसका नाम शिरू है। राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने विक्रम संवत के पहले दिन अपने जनता का सारा कर्ज माफ कर दिया। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने उनके शासनकाल को गोल्डेन एरा कहा है।
हिंदुओं के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
पहले, हिंदू धर्म मानता है कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की शुरुआत विक्रम संवत् की तिथि को की थी। हिंदू नववर्ष की शुरुआत के दिन से भारतीय संस्कृति में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ शुरू हुईं।
इसी दिन से चैत्र मास में देवी आराधना के नौ दिन शुरू होते हैं और भगवान राम का जन्मोत्सव नवमी के दिन मनाया जाता है। हिन्दू आज भी अंग्रेज़ी कैलेंडर को त्योहारों, उपवासों और जरूरी कामों के लिए समय मानते हैं।