ट्रक ड्राइवर अपनी गाड़ी के पीछे टायर की ट्यूब क्यों लगाते है, वजह जानकर तो आप भी देना चाहेंगे शाबाशी
भारतीय सड़कों पर चलते फिरते विशाल ट्रक न केवल माल ढुलाई का एक माध्यम हैं बल्कि इनमें संस्कृति परंपरा और व्यक्तिगत भावनाओं का भी समावेश होता है। ट्रक ड्राइवर अपने वाहनों को विभिन्न प्रकार से सजाते हैं जो उनकी अपनी एक कहानी कहते हैं।
ट्रकों की ये सजावट और रवायतें भारतीय सड़कों पर चलती फिरती कला के रूप में हैं जो देश की विविधता और संस्कृतिक वैभव को दर्शाती हैं। यह भारतीय ट्रकिंग समुदाय की अनूठी पहचान है जो अपने पीछे छोड़े गए पदचिह्नों के माध्यम से अपनी कहानियों और परंपराओं को जीवित रखती है।
ट्रक सजावट की विशेषता
भारत में ट्रकों की सजावट एक कला के रूप में देखी जाती है। ड्राइवर अपने ट्रकों पर विभिन्न तरह की सजावट करते हैं जिसमें पारिवारिक नाम धार्मिक चिह्न उक्तियाँ और अपने क्षेत्र के अनुसार डिज़ाइन शामिल होते हैं। ये सजावट न केवल ट्रक को आकर्षक बनाती हैं बल्कि ड्राइवरों के व्यक्तिगत जीवन और विचारों को भी प्रकट करती हैं।
टायर ट्यूब की अनोखी लटकन
अक्सर ट्रकों के पीछे लंबी लंबी कतरन में कटे हुए टायर ट्यूबों को लटकते देखा जाता है। इस अनोखे डिज़ाइन के पीछे का कारण बेहद दिलचस्प है। दरअसल ये काले रंग के टुकड़े नज़र (बुरी नज़र) से बचाने के लिए लगाए जाते हैं। यह एक प्रकार का लोक विश्वास है जिसे ट्रक ड्राइवर गंभीरता से लेते हैं।
"हॉर्न ओके प्लीज" का इतिहास
भारतीय ट्रकों के पीछे "हॉर्न ओके प्लीज" लिखा होना एक आम दृश्य है। इसकी उत्पत्ति के पीछे कई कहानियाँ हैं जिनमें से एक दूसरे विश्व युद्ध के समय से जुड़ी हुई है जब ट्रक 'On Kerosene' यानी केरोसिन पर चलते थे।
इसे पहले "Horn OTK Please" लिखा जाता था जिसका मतलब था ओवरटेक करने से पहले हॉर्न बजाना। समय के साथ इसमें से 'T' हट गया और "OK" शब्द बचा जिससे "हॉर्न ओके प्लीज" बना।
संस्कृति और परंपरा का मेल
ट्रकों की ये सजावट और लिखावट भारतीय सड़कों पर एक विशेष सांस्कृतिक पहचान प्रस्तुत करते हैं। ये न केवल वाहनों को अनूठा बनाते हैं बल्कि ड्राइवरों की आस्था विश्वास और जीवन शैली को भी प्रकट करते हैं।