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Legal Rights: सास ससुर की सेवा करने में बहु करे आना-कानी तो घर से कर सकते है बेदखल, जाने क्या कहता है भारत का कानून

युवती का दर्जा और पहचान शादी के फेरे और एक चुटकी सिंदूर की मांग के साथ बदल जाता है। पति की अर्द्धांगिनी बनने के साथ उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। लेकिन उसे इन जिम्मेदारियों के अलावा भी कई अधिकार मिलते हैं।
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High Court's decision on quarrelsome daughter-in-law
   

Legal Rights: युवती का दर्जा और पहचान शादी के फेरे और एक चुटकी सिंदूर की मांग के साथ बदल जाता है। पति की अर्द्धांगिनी बनने के साथ उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। लेकिन उसे इन जिम्मेदारियों के अलावा भी कई अधिकार मिलते हैं।

आज हम आपको बताएंगे कि शादी के बाद एक लड़की को ऑटोमेटिक मोड में क्या अधिकार मिलते हैं। वैसे अधिकतर महिलाएं अपने अधिकारों से अनजान हैं, उदासीन हैं और लापरवाह हैं। ऐसे में जानकारी उनकी मदद कर सकती है।

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हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन से इस विषय पर चर्चा की। उनका कहना था कि पति पत्नी और बच्चों के जीवनयापन, जैसे भोजन, सुरक्षा, शिक्षा और चिकित्सा की पूरी जिम्मेदारी लेता है। वह इसे नकार नहीं सकता क्योंकि यह एक पत्नी के रूप में उनका अधिकार है।

क्या है स्त्रीधन, जो बांटा नहीं जा सकता?

महिला अपने धन को सुरक्षित और सुरक्षित रख सकती है। उसकी इच्छा के बिना कोई हिस्सा नहीं बाँट सकता। चाहे वह कितना भी करीबी रिश्तेदार हो। स्त्रीधन दरअसल सगाई के साथ होने वाली बहूरानी को शगुन, तोहफे, मुंह दिखाई, रस्मो रिवाज के दौरान मिलने वाला धन या नकद होता है।

घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम की धारा 18 से 23 में पत्नी के अधिकारों का विवरण है। सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भी पत्नी को पति के घर में मान-सम्मान के साथ रहने का अधिकार है। जस्टिस एसएन ढींगरा ने स्पष्ट रूप से कहा कि तलाक लेने वाली पत्नी को पति की कमाई से भरण-पोषण के लिए धन मिलने का अधिकार है अगर वह काम नहीं करती।

महिला अपने पति के घर यानी ससुराल में रहने का नैसर्गिक अधिकार रखती है। यदि वे बच्चे हैं तो वे भी घर, भोजन, कपड़े, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सुविधाओं का हकदार हैं। उसे भी चल-अचल संपत्ति को सुरक्षित रखने का अधिकार है।

सास-ससुर कर सकते हैं घर से बाहर

वह भी पुश्तैनी घर या अचल संपत्ति में कानूनी हकदार है, लेकिन केवल तब जब वह बहू के रूप में बुजुर्ग सास ससुर या अन्य बुजुर्गों की सेवा करती है। यदि वह इन कर्तव्यों को पूरा नहीं कर सकती, तो उसके सास-ससुर उसे घर से बाहर भी निकाल सकते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बुजुर्ग दंपति (मां-बाप) पर खूंखार कुत्ता छोड़ने वाले बेटे और बहू को घर से बाहर करने का आदेश दिया।