कई बार हवाई जहाज आसमान में क्यों छोड़ने लगते है ईंधन, इस वजह से फुल टैंक के साथ नही करते लैंडिंग
विमान यात्रा में ईंधन का महत्वपूर्ण स्थान होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फ्लाइट में कभी भी बहुत ज्यादा फ्यूल नहीं भरा जाता खासकर जब विमान को लैंड करना हो? यह सवाल अक्सर यात्रियों के मन में उठता है। विमानों के फ्यूल भरने की प्रक्रिया बेहद संगणित और नियंत्रित होती है और इसके पीछे कारण भी वैज्ञानिक है।
विमान क्षेत्र में यह जानकारी यात्रियों को भी आश्वस्त करती है कि उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है और यह भी समझाती है कि तकनीकी प्रक्रियाओं का पालन क्यों जरूरी है।
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टेकऑफ और लैंडिंग वेट के बीच का अंतर
विमानों में दो प्रकार के वजन होते हैं - मैक्सिमम टेकऑफ वेट (MTOW) और मैक्सिमम लैंडिंग वेट (MLW)। MTOW वह अधिकतम वजन होता है जिसके साथ विमान सुरक्षित रूप से उड़ान भर सकता है जबकि MLW वह वजन है।
जिसके साथ विमान सुरक्षित रूप से लैंड कर सकता है। MLW हमेशा MTOW से कम होता है क्योंकि लैंडिंग के दौरान विमान पर अधिक तनाव होता है और यदि वजन अधिक हो तो यह विमान के ढांचे को क्षति पहुंचा सकता है।
लैंडिंग के समय ईंधन की मात्रा का प्रबंधन
फ्लाइट ऑपरेशंस के दौरान ईंधन की खपत होती है जिससे MLW तक पहुँचने में सहायता मिलती है। अगर किसी कारणवश विमान को अधिक ईंधन के साथ लैंड करना पड़ता है तो ईंधन डंपिंग की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
यह प्रक्रिया हवाई जहाज को अनावश्यक वजन से मुक्त करने के लिए ईंधन को हवा में छोड़ने की अनुमति देती है जिससे सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है।
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ईंधन और उड़ान सुरक्षा
विमान उद्योग में सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि होती है। ईंधन प्रबंधन की यह प्रक्रिया न केवल विमान की सुरक्षा को बढ़ाती है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती है।
इसीलिए विमान को हमेशा MLW के अंतर्गत रखकर चलाया जाता है और यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त ईंधन को डंप किया जाता है ताकि विमान सुरक्षित रूप से लैंड कर सके।