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कई बार बिना रेल्वे स्टेशन के भी ट्रेन की स्पीड क्यों हो जाती है धीमी, रेल्वे सफर करते है तो पता होनी चाहिए ये बात

भारतीय रेलवे में सुपरफास्ट ट्रेनें अपनी स्पीड के लिए जानी जाती हैं। ये ट्रेनें अपनी तेज़ रफ्तार से लंबी दूरियों को कम समय में तय करती हैं। हालांकि कई बार यह देखने को मिलता है कि ये ट्रेनें बड़े स्टेशनों पर भी धीमी हो जाती हैं जबकि उनका वहां कोई स्टॉपेज नहीं होता। 
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भारतीय रेलवे में सुपरफास्ट ट्रेनें अपनी स्पीड के लिए जानी जाती हैं। ये ट्रेनें अपनी तेज़ रफ्तार से लंबी दूरियों को कम समय में तय करती हैं। हालांकि कई बार यह देखने को मिलता है कि ये ट्रेनें बड़े स्टेशनों पर भी धीमी हो जाती हैं जबकि उनका वहां कोई स्टॉपेज नहीं होता। 

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ट्रेनों की स्पीड में बदलाव 

सुपरफास्ट ट्रेनों की गति कई कारकों पर निर्भर करती है जिनमें से एक प्रमुख कारक है सिग्नलिंग और सुरक्षा नियम। जब कोई ट्रेन किसी स्टेशन के आसपास से गुजरती है तो उसे निर्धारित सुरक्षा मानकों के अनुसार अपनी स्पीड कम करनी पड़ती है। इससे यात्रियों और ट्रेन के संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित होती है खासकर जब ट्रेन अन्य ट्रैक्स को क्रॉस करती है या ट्रैक पर कोई मरम्मत का काम चल रहा हो।

बड़े स्टेशनों पर ट्रेनों की स्पीड में कमी

बड़े स्टेशनों पर अक्सर कई ट्रैक्स होते हैं और यहाँ ट्रेनों की आवाजाही ज्यादा होती है। इस वजह से सुपरफास्ट ट्रेनें भी जिनका स्टेशन पर स्टॉपेज नहीं होता, उन्हें भी अपनी गति कम करनी पड़ती है। यह आवश्यकता ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए होती है ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।

टर्मिनल स्टेशनों पर विशेष ध्यान

टर्मिनल स्टेशन जैसे कि हावड़ा, चेन्नई और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर ट्रेनों की गति और भी कम होती है। इसकी मुख्य वजह है कि इन स्टेशनों पर ट्रैक की समाप्ति होती है और ट्रेन को धीरे-धीरे रोकना पड़ता है। इस प्रक्रिया से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है और ट्रेन को संभालने के लिए जरूरी समय मिल जाता है।