मोदी सरकार बेच रही है सस्ता दाल चावल और आटा, इन जगहों से कोई भी कर सकता है खरीदारी
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने बढ़ती हुई दाल की कीमतों के मद्देनजर एक नई पहल की शुरुआत की। 'भारत दाल' के नाम से यह पहल चने की दाल को 1 किलो और 30 किलो के पैकेट में ₹60 और ₹55 प्रति किलो के सस्ते दामों पर बेचकर आम जनता को एक बड़ी राहत प्रदान कर रही है।
यह कदम न केवल महंगाई के खिलाफ एक लड़ाई है, बल्कि यह आम आदमी की थाली में पौष्टिकता सुनिश्चित करने का भी प्रयास है। सरकारी पहल 'भारत दाल' ने न केवल दाल की कीमतों पर अंकुश लगाने का काम किया है.
बल्कि यह आम आदमी को सस्ते दामों पर पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल के सफल होने से न केवल आर्थिक स्थिरता आएगी बल्कि सामाजिक समृद्धि में भी वृद्धि होगी।
मार्केट में एक नई क्रांति
NAFED, NCCF, केंद्रीय भंडार और सफल जैसे विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से और ई-कॉमर्स साइटों पर उपलब्ध 'भारत दाल' ने बाजार में आते ही एक नई क्रांति ला दी है। महज चार महीने में 25% मार्केट शेयर हासिल कर लेना इसकी सफलता की कहानी कहता है। इसकी कम कीमत ने अन्य ब्रांडों को कड़ी टक्कर दी है, जिससे आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
महंगाई पर काबू
सरकार ने न केवल चना बल्कि तुअर, उड़द, मूंग और मसूर की दाल का भी बफर स्टॉक रखा है ताकि बाजार में कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा तुअर और उड़द की दाल पर इंपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने
और मसूर की दाल पर इसे जीरो कर देने जैसे कदमों से सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह साबित करता है कि सरकार का लक्ष्य न केवल बाजार में स्थिरता लाना है बल्कि आम आदमी को राहत प्रदान करना भी है।
लोकप्रियता में उछाल
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार 'भारत दाल' को उपभोक्ताओं से शानदार प्रतिक्रिया मिली है। 4 महीने में 25% मार्केट शेयर हासिल करना और प्रति महीने 45000 टन दाल की बिक्री इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। 21 राज्यों में 139 शहरों के 13,000 दुकानों पर इसकी उपलब्धता ने इसे और भी आसानी से उपलब्ध बना दिया है।
भविष्य की योजनाएँ
सरकार अब 'भारत चावल' और 'भारत आटा' जैसे अन्य उत्पादों को भी बाजार में उतार रही है। यह न केवल उपभोक्ताओं को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण अनाज प्रदान करेगा बल्कि इसके माध्यम से सरकार भविष्य में महंगाई को और भी अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की उम्मीद कर रही है।
मोबाइल वैन और फिजिकल आउटलेट्स के माध्यम से इन उत्पादों की बिक्री न केवल उपलब्धता बढ़ाएगी बल्कि यह सरकारी पहलों को और भी ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में सहायक होगी।