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देश के 43 बैंकों को घटाकर किया जाएगा 28, इन बैंकों में खाता है तो सावधान

मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है.
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Bank New Rule: मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है. अब सरकार का उद्देश्य ग्रामीण बैंकिंग सिस्टम की लागत को कम करके सेवाओं को और बेहतर बनाना है. इसके लिए 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मिलाकर उनकी संख्या को घटाकर 28 पर लाने का प्रस्ताव है.

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एक राज्य-एक बैंक सिद्धांत

इस प्रस्ताव के तहत 'एक राज्य-एक बैंक' (One State One Bank) का सिद्धांत अपनाया गया है जिससे सेवाएं आसान और बढ़िया होंगी. इस निर्णय से ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली की कार्यक्षमता बढ़ाने और स्थानीय लोगों को किफायती सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी. जिन राज्यों में यह योजना लागू होगी उनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं.

तेलंगाना में बैंक विलय का उदाहरण

तेलंगाना में यह विलय (Bank Merger in Telangana) आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के एसेट्स और दायित्वों को जोड़ा करके किया जाएगा. इससे तेलंगाना के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं में सुधार होगा और ग्राहक बैंकिंग सेवाओं का बेहतर लाभ उठा पाएंगे.

RRBs के विलय का उद्देश्य

वित्त मंत्रालय के अनुसार, RRB का विलय (Objective of RRB Mergers) ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की पहुँच को आसान बनाना और संचालन लागत को कम करना है. यह ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए कर्ज़ और अन्य सेवाओं की उपलब्धता को और प्रभावी बनाएगा. साथ ही इस विलय से RRBs की दक्षता भी बढ़ेगी जिससे ग्रामीण समुदायों को लाभ मिलेगा.

NABARD के साथ मिलकर बनाया जा रहा रोडमैप

इस प्रस्ताव के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ मिलकर (NABARD Partnership) एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इसके तहत, प्रत्येक राज्य में सिर्फ एक RRB रखने का उद्देश्य है. वित्त मंत्रालय ने सभी RRBs के प्रायोजक बैंकों से सुझाव मांगे हैं ताकि यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके.

RRBs विलय का इतिहास

RRBs के विलय का इतिहास (History of RRB Mergers) 2004-05 में शुरू हुआ था, जब इसकी संख्या 196 से घटाकर 43 कर दी गई थी. इस विलय प्रक्रिया के तीन चरण पहले ही पूरे हो चुके हैं, और अब चौथा चरण चल रहा है, जिसके तहत 21 बैंक अन्य बैंकों में मिलाए जा रहे हैं.

RRB का महत्व

1976 के RRB अधिनियम (Importance of RRB Act) के तहत बने ये बैंक छोटे किसानों, मजदूरों और ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों को कर्ज और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं. इस अधिनियम में 2015 में संशोधन कर इन्हें केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई. वर्तमान में RRBs में केंद्र सरकार की 50%, प्रायोजक बैंकों की 35% और राज्य सरकारों की 15% हिस्सेदारी है.

बैंक यूनियनों की भूमिका

कुछ बैंक यूनियनों (Bank Unions Role) जैसे AIBOC और AIBEA ने RRBs के उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय की मांग की थी. उनका मानना है कि इससे ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली की कार्यक्षमता और बढ़ेगी. यूनियनों का मानना है कि यह कदम ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग सेवाओं को और मजबूत बनाएगा.

बैंक विलय से ग्राहकों पर असर

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित RRBs के ग्राहक (Impact on Customers) इस विलय का सीधा प्रभाव देखेंगे. जो बैंक एक होंगे उनके ग्राहकों के खाते और सेवाएं दूसरे बैंक में स्थानांतरित हो जाएंगी, जिससे उन्हें और अधिक किफायती सेवाएं मिल सकेंगी.

ग्रामीण बैंकों के नाम और उनकी प्रायोजक बैंक लिस्ट

प्रत्येक राज्य में RRBs की पहचान (List of RRBs by State) और उनके प्रायोजक बैंकों की सूची जारी की गई है. जैसे आंध्र प्रदेश में आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक सिंडिकेट बैंक के तहत संचालित है, वहीं अन्य राज्यों में भी इसी तरह की संरचना है. यह सूची ग्राहकों को उनके संबंधित बैंकों और उनकी सेवाओं के बारे में जानकारी देगी.