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Car या Bike को मॉडिफाई करवाने पर सच में कटेगा मोटा चालान, जाने क्या कहता है ट्रैफिक नियम

भारत में वाहनों को मोडिफाई करने का चलन बहुत पुराना है। यह शौक न केवल युवाओं में बल्कि हर उम्र के लोगों में पाया जाता है। मोडिफाइड कार और बाइक्स न केवल दिखने में आकर्षक होते हैं बल्कि उनमें कई तरह के तकनीकी बदलाव भी किए जाते हैं जैसे कि टायरों का साइज बड़ा करना, हॉर्न को अतरंगी बनाना और साइलेंसर की आवाज को बदलना।
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भारत में वाहनों को मोडिफाई करने का चलन बहुत पुराना है। यह शौक न केवल युवाओं में बल्कि हर उम्र के लोगों में पाया जाता है। मोडिफाइड कार और बाइक्स न केवल दिखने में आकर्षक होते हैं बल्कि उनमें कई तरह के तकनीकी बदलाव भी किए जाते हैं जैसे कि टायरों का साइज बड़ा करना, हॉर्न को अतरंगी बनाना और साइलेंसर की आवाज को बदलना। ये सभी बदलाव एक वाहन को अजीब बना देते हैं।

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भारतीय कानून और मोडिफिकेशन

भारत में वाहनों को मोडिफाई करना गैरकानूनी है अगर उससे वाहन की मूल पहचान और तकनीकी विशेषताएं बदल दी जाएं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी वाहन के मूल डिज़ाइन या तकनीकी चीजों में बदलाव करना वाहन निर्माता की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता। इसके अलावा मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 52 भी इसी तरह के बदलावों को नकारती  है।

किन बदलावों की है मनाही?

कुछ विशेष प्रकार के मोडिफिकेशन जैसे कि इंजन को बदलना निकास प्रणाली में बदलाव करना, टायरों का आकार बढ़ाना अत्यधिक तेज और ऊँचे ध्वनि वाले हॉर्न लगाना, और साइलेंसर में बदलाव करना शामिल हैं जिसे कानून द्वारा मना किया गया है। इस तरह के मोडिफिकेशन पर भारी जुर्माना और यहां तक कि जैल की सजा भी हो सकती है।

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कुछ मोडिफिकेशन पर अनुमति

हालांकि वाहनों में कुछ प्रकार के मोडिफिकेशन की अनुमति है जैसे कि CNG किट लगवाना, रंग बदलना, रेन विज़र्स लगवाना, बंपर प्रोटेक्टर लगाना और कुछ सीमा में टायरों का आकार बदलना। इस प्रकार के बदलाव के लिए RTO की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है।