मुगल बादशाह पॉवर बढ़ाने के लिए खाते थे ये खास चीजें, खाने में शामिल होती है ये जड़ी बूंटीयां
Mugal Harm: मुगलों का भारत आगमन न केवल एक राजनीतिक या सैन्य घटना थी, बल्कि यह एक सांस्कृतिक मेल भी था. उन्होंने तुर्की और फारसी सभ्यताओं के तत्वों को भारतीय संस्कृति के साथ मिश्रित किया, जिससे एक अनोखी सांस्कृतिक विरासत की नींव पड़ी. इस मिश्रण से भारतीय कला, वास्तुकला, भाषा और खान-पान में नई विधाएं और स्वाद विकसित हुए जिसने स्थानीय जीवनशैली में विविधता और समृद्धि लाई.
मुगल और आयुर्वेद
मुगलों ने अपने शासनकाल में आयुर्वेदिक तत्वों के साथ यूनानी हकीमी नुस्खों को सम्मिलित कर एक नया चिकित्सा प्रारूप विकसित किया. यह दर्शाता है कि मुगल सम्राटों ने स्वास्थ्य के प्रति अपनी समझ और प्राथमिकताएं कैसे निर्धारित की थीं जिसमें वे स्थानीय और विदेशी ज्ञान का उपयोग कर रोगों की रोकथाम और उपचार करते थे.
खानपान में मुगलों का विशेष योगदान
मुगल साम्राज्य के दौरान खानपान की आदतें भी इसी मिश्रण का परिणाम थीं. इतालवी व्यापारी मनूची और डच व्यापारी फ्रांसिस्को पेलसर्ट ने अपनी यात्राओं में मुगल रसोई के अनोखे पकवानों का वर्णन किया है. इनमें विशेष रूप से जहांगीर और शाहजहां के समय की खाने की तैयारियां और सामग्री शामिल हैं. इन सम्राटों ने खास प्रकार के पान से लेकर गुलकंद, हरताल और वर्किया जैसी जड़ी बूटियों का सेवन किया जो उन्हें ताकत देने में सहायक थीं.
शाही खाना और उसकी विशेषताएं
मुगलों का शाही खाना बेहद खास था जिसमें काजू, बादाम, किशमिश और पिस्ता जैसे मेवे खूब इस्तेमाल होते थे. इसके अलावा गोश्त के व्यंजन भी बहुत लोकप्रिय थे जिनमें जंगली खरगोश और काले हिरण का मांस प्रमुख था. इन खानों को बनाने में विशेष तरीके और सावधानियां बरती जाती थीं ताकि खाने की गुणवत्ता और स्वाद दोनों खास रहें.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई है. किसी भी फायदे/नुकसान संबंधित CANYONSPECIALITYFOODS.Com की कोई जवाबदेही नही होगी।