Mughal Harem: बादशाह का दिल बहलाने के लिए खूबसूरत औरतें करती थी ये काम, रानियां मजे से बैठकर देखती थी तमाशा
Mughal Harem Story: मुगल साम्राज्य के दौरान हरम का अस्तित्व हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. हिन्दुस्तानी हों या विदेशी, हर किसी में हरम के रहस्यों को जानने की गहरी दिलचस्पी रही है. इतालवी यात्री मनूची उन विरले लोगों में से थे जिन्होंने हरम के अंदरूनी हिस्से को देखा और उस पर विस्तृत रूप से लिखा.
हरम की परिभाषा और उसकी उत्पत्ति
'हरम' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है 'पवित्र' या 'वर्जित' (sacred or forbidden). इसकी शुरुआत मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के समय से ही हो गई थी. बाबर ने मात्र चार वर्ष ही शासन किया, इसलिए हरम को उस दौरान विशेष रूप से व्यवस्थित नहीं किया जा सका था, परंतु उसके पोते अकबर ने हरम को व्यवस्थित करने और उसके दायरे को विस्तार देने का कार्य किया.
हरम में महिलाओं के समूह और उनकी भूमिका
हरम में महिलाओं की विभिन्न श्रेणियाँ होती थीं. इनमें शाही परिवार की महिलाएं, बादशाह की रखैलें, उनकी देखभाल करने वाली महिलाएं और हरम की देखभाल करने वाली अन्य महिलाएं शामिल थीं. हरम की रौनक बढ़ाने के लिए महिलाओं को वहां तक पहुंचाया जाता था. कुछ को दूसरे देशों से बंदी बनाकर लाया जाता था तो कुछ को बाजार से खरीदा जाता था. बादशाह की विशेष नजर पड़ने पर कुछ महिलाओं को भी हरम का हिस्सा बना दिया जाता था.
हरम में महिलाओं का जीवन
मनूची के अनुसार, हरम में औरतों की जिंदगी में विभिन्न पहलू शामिल थे. शाही परिवार की महिलाएं विशेष रूप से भव्यता में जीती थीं. उन्हें रोज नए कपड़े मिलते थे, और एक बार पहनने के बाद वे कपड़े दूसरी महिलाओं में बांट दिए जाते थे. उनका जीवन राजसी आनंद, फौव्वारों, आतिशबाजी, किस्से-कहानियों और तीरंदाजी में व्यतीत होता था.
हरम की सुरक्षा और नियम
हरम में एक बार शामिल होने के बाद महिलाओं का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहता था. उन्हें कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था, और उनके बाहर जाने पर सख्त पाबंदियाँ होती थीं. यह व्यवस्था उनकी सुरक्षा के लिए थी, लेकिन यह उनकी स्वतंत्रता को भी प्रतिबंधित करती थी.
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