भारत में अब मुकेश अंबानी और टाटा देंगे सस्ती कीमत पर दाल, मार्केट में मिलने वाली दाल से भी सस्ती होगी कीमत
सरकारी एजेंसी Nafed ने एक अनोखी पहल करते हुए पहली बार सरकारी सब्सिडी वाले अनाज को प्राइवेट रिटेलर (Private Retailer) के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का फैसला किया है। इस कदम के तहत, रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) और बिग बास्केट (Big Basket) जैसे प्लेटफॉर्म पर भारत दाल (Bharat Dal) ब्रांड के तहत सब्सिडी वाली दाल की बिक्री शुरू की गई है।
भारत चना दाल (Bharat Chana Dal), जो इन रिटेलर्स द्वारा बेची जा रही सबसे कम कीमत वाली दाल से भी 40% सस्ती है, की बिक्री विशेष रूप से उत्तर और पश्चिम भारत में अधिक हो रही है। यह एक ऐतिहासिक पहल है, जिसके जरिए सरकारी दबाव के बावजूद निजी रिटेलर भारत दाल की बिक्री करने पर सहमत हुए हैं।
इस कंपनी ने दाल के बिक्री शुरू की
रिलायंस रिटेल, जो देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी है और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी है, ने अक्टूबर के अंत से भारत दाल की बिक्री शुरू की है। इसी तरह, बिग बास्केट, जिसका मालिकाना हक टाटा डिजिटल (Tata Digital) के पास है, भी इस पहल में शामिल है।
भारत दाल और प्राइवेट लेबल दाल की गुणवत्ता में बहुत अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों ही Nafed से चना प्राप्त करते हैं। Nafed भारत की एकमात्र एजेंसी है जिसके पास चने का स्टॉक (Stock) है। इस तरह से भारत दाल की बिक्री से जहां उपभोक्ताओं को सस्ती दाल उपलब हो रही है, वहीं इससे प्राइवेट लेबल वाली दाल की बिक्री पर प्रभाव पड़ रहा है।
सरकारी सब्सिडी वाली दाल
सरकार की इस पहल से उपभोक्ताओं को अब सब्सिडी वाली दाल आसानी से और कम कीमत में उपलब्ध होगी, जिससे उनके खर्च में कमी आएगी। साथ ही, यह पहल भारतीय खाद्य बाजार में एक नई प्रवृत्ति को भी दर्शाती है, जहां सरकारी और निजी क्षेत्र मिलकर उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत आटा की बिक्री भी शुरू
इस पहल के तहत जल्द ही प्राइवेट रिटेलर के जरिए भारत आटा (Bharat Atta) की बिक्री भी शुरू की जाएगी। इससे उपभोक्ताओं को और भी विकल्प उपलब्ध होंगे और खाद्य सुरक्षा में और अधिक सुधार होगा।
इस प्रकार Nafed और निजी रिटेलरों के बीच यह सहयोग न केवल बाजार के लिए नई संभावनाएं खोलता है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी लाभप्रद सिद्ध होगा। इससे निश्चित रूप से खाद्य पदार्थों की पहुंच और सुलभता में सुधार होगा, जिससे आम जनता को बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ कम कीमत पर उपलब्ध होंगे।