डेयरी बिजनेस में इस नस्ल की भैंस नही है वरदान से कम, कम खर्चा पर प्रोफिट है तगड़ा
Murrah Breed Buffalo: भारतीय समाज में पशुपालन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. प्राचीन काल से ही खेती और पशुपालन दोनों ही भारतीय किसानों के जीवन के अनिवार्य अंग रहे हैं. आज भी छोटे और बड़े किसान पशुपालन को अपनी आय का मुख्य स्रोत मानते हैं. केंद्र और राज्य सरकारों ने भी पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की हैं जिससे किसानों का इस क्षेत्र की ओर रुझान बढ़ रहा है. पशुपालन न केवल व्यक्तिगत आय का जरिया बन रहा है बल्कि यह अन्य लोगों को भी रोजगार देने का माध्यम बन रहा है.
मुर्रा भैंस और इसके आर्थिक लाभ
मुर्रा भैंस (Murrah buffalo) की पालना किसानों के लिए न केवल आय का स्रोत है, बल्कि यह डेयरी उद्योग में उच्च मुनाफे का कारण भी है. भारत में दो करोड़ लोग पशुपालन पर निर्भर हैं जिसमें बड़ा हिस्सा मुर्रा भैंस के पालन का है. इस क्षेत्र का भारत की जीडीपी में लगभग 4% का योगदान है. किसान ज्यादा दूध उत्पादन और ज्यादा फैट सामग्री (high fat content) के कारण गायों की जगह भैंसों का चयन करते हैं. मुर्रा भैंस के पालन से न केवल अधिक दूध मिलता है बल्कि दूध अधिक महंगा भी बिकता है.
मुर्रा भैंस की विशेषताएं और उसका पालन
मुर्रा भैंस की विशेषताएं इसे दुनिया की अन्य नस्लों से अलग करती हैं. यह भैंस एक वर्ष में 2000 से 3000 लीटर तक दूध दे सकती है, जिसमें 7% तक फैट होता है. इसकी गर्दन और सिर पतला होता है, और इसके सिर पर अंगूठीनुमा सींग होते हैं. मुर्रा भैंस की पूंछ लंबी होती है और इसका पिछला भाग सुविकसित होता है. इस नस्ल का औसत वजन 430 से 575 किलोग्राम तक होता है, जो इसे भारी भरकम और मजबूत बनाता है.