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राज्यों की लापरवाही के चलते अटका NH का काम, रोजाना केवल 29KM का ही हो रहा है निर्माण

पर्यावरण मंजूरी और भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते केंद्र सरकार को नए राजमार्गों के निर्माण के अपने प्रारंभिक लक्ष्य को घटाना पड़ा है।
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पर्यावरण मंजूरी और भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते केंद्र सरकार को नए राजमार्गों के निर्माण के अपने प्रारंभिक लक्ष्य को घटाना पड़ा है। इस वर्ष, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मूल लक्ष्य से घटाकर केवल 10,421 किलोमीटर नए राजमार्गों का निर्माण किया जाना है जो कि प्रतिदिन लगभग 29 किमी के निर्माण की दर को दर्शाता है।

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पिछले वर्ष के मुकाबले प्रदर्शन

वित्त वर्ष 2023-24 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हर दिन लगभग 34 किमी राजमार्ग निर्माण की दर से 13,814 किमी का लक्ष्य पूरा किया। उत्साहित होकर मंत्रालय ने अगले वित्त वर्ष के लिए प्रतिदिन 40 किमी (कुल 14,600 किमी) का नया लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि जून के पहले हफ्ते में वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक के बाद इस लक्ष्य को घटा दिया गया।

चालू वित्त वर्ष की चुनौतियां

चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में अप्रैल और मई महीने में केवल 795 किमी राजमार्ग का निर्माण हो सका, जो कि प्रतिदिन केवल 13 किमी के हिसाब से है। यह धीमी गति मुख्य रूप से चुनावी माहौल और सरकारी मशीनरी की व्यस्तता के कारण थी। नई सरकार के गठन के बाद इसमें तेजी आने की उम्मीद है।

राज्यों में भूमि अधिग्रहण की समस्याएं

भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसी प्रक्रियाएं राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं और इनमें देरी के कारण राजमार्ग निर्माण प्रभावित हो रहा है। विशेषकर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और छत्तीसगढ़ में इस तरह की समस्याओं के चलते परियोजनाएं पीछे चल रही हैं।

दस वर्षों में इतना हुआ कार्य

पिछले दस वर्षों में राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई में 60 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई है जिससे इसकी कुल लंबाई 1,46,145 किमी हो गई है। इस दौरान राजमार्ग क्षेत्र में निवेश भी नौ गुना बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो कि 'विजन-2047' के तहत 19.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है।