भारत ही नही इस देश की करेंसी के सामने भी भीगी बिल्ली बन चुका है पाकिस्तानी रुपया, पाकिस्तान के लोगो का हो चुका है बड़ा बुरा हाल

पाकिस्तान की करेंसी का हाल फिलहाल बहुत खराब है। पाकिस्तान की करेंसी अमेरिकी डॉलर सहित दुनिया के कई छोटे देशों की मुद्रा से भी बहुत कमजोर दिखाई देती है। अब पाकिस्तानी रुपया अफगानिस्तान जैसे छोटे देश के सामने भी बहुत कमजोर दिखता है।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और एशिया के कई छोटे देशों की करेंसी भी मजबूत है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब है। वर्तमान में पाकिस्तानी रुपये की तुलना करें तो एक डॉलर 306.33 रुपये के बराबर है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की करेंसी कमजोर है।
साथ ही एशिया के कई देशों की करेंसी भी कमजोर है। ये नेपाल, अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, ईराक और चीन से कमजोर हैं। इसका अर्थ है कि पाकिस्तानी रुपये न सिर्फ बड़े देशों की मुद्रा से कमजोर है, बल्कि उनसे कई छोटे देशों के मुकाबले भी कमजोर है।
अफगानिस्तान की करेंसी के सामने ऐसा हुआ हाल
अफगानिस्तान की करेंसी की तुलना अगर पाकिस्तान के रुपये से करें तो इसका हाल बेहाल है। अफगानिस्तान की मुद्रा का नाम अफगानी है। एक जमाने में यहां अफगान रुपया चलता था लेकिन 1925 के देश में नई करेंसी अफगानी शुरू हुई। आज एक अफगानी पाकिस्तान के 4.17 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है।
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण डॉलर के मुकाबले उसकी मुद्रा में काफी गिरावट आई है। इस दौरान पाकिस्तानी करेंसी रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई है। पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले अफगानी रुपया अधिक मजबूत है।
लगातार बढ़ रही महंगाई
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। पाकिस्तान में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। लोगों के लिए यहां रोजमर्रा की चीजें खरीदना भी बहुत मुश्किल होता जा रहा है। आटे और चावल की कीमत ही यहां कई गुना बढ़ चुकी है।
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद के कारण आर्थिक मंदी है। वहीं अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। ऐसे में अब अफगानिस्तान पाकिस्तान से आगे निकलता नजर आ रहा है।
इस वजह से हो रहा बुरा हाल
पाकिस्तान की करेंसी का हाल बेहाल होने की के कारण राजनीतिक अस्थिरता है। इसके चलते आर्थिक अनुश्चितता बढ़ गई है। इससे निवेशकों को पाकिस्तान में पैसा लगाने में रुचि कम होती जा रही है। इसके उलट अफगानिस्तान में स्थिरता है।
तालिबान सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। इससे निवेशकों को अफगानिस्तान में पैसा लगाने में अधिक दिलचस्पी बढ़ी है। इससे अफगानिस्तान की मुद्रा मजबूत हो रही है।