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अब हरियाणा के लोगों को बड़ी सौगात इन जिलों से होकर गुजरेगी बुलेट ट्रेन, दिल्ली-अमृतसर बुलेट ट्रेन को मिली मंजूरी

Delhi-Amritsar रेलवे प्रोजेक्ट 7दिल्ली-अमृतसर रेल मार्ग पर 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से बुलेट ट्रेन चलाने की परियोजना हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की व्यापक परियोजना का हिस्सा है।
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Bullet Train Project
   

Delhi-Amritsar रेलवे प्रोजेक्ट 7दिल्ली-अमृतसर रेल मार्ग पर 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से बुलेट ट्रेन चलाने की परियोजना हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की व्यापक परियोजना का हिस्सा है। परियोजना के तहत कुरुक्षेत्र जिले के 30.9 किलोमीटर मार्ग पर 24 गांवों का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा।

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वीरवार को न्यू लघु सचिवालय में नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड (एनएसएसआरसीएल) के अधिकारी शरीन अधिकारियों और सरपंचों की बैठक ले रहे थे। उनका कहना था कि दिल्ली-अमृतसर उच्च गति रेल परियोजना पर सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में सार्वजनिक परामर्श लिया गया है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट सहित सभी पक्षकार शामिल हैं।

रेल मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए सात हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की परियोजना रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड को दी है। इनमें से एक प्रमुख गलियारा दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर है। HSR कॉरिडोर लगभग 474.772 किलोमीटर लंबा है और दिल्ली से अमृतसर को जोड़ता है।

परियोजना का डीपीआर बनाने, लिदार सर्वेक्षण, यातायात अध्ययन, सामाजिक प्रभाव अध्ययन और पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। डा. प्रतिभा सिंह, मयंक झा, संदीप और कुरुक्षेत्र के सभी बीडीपीओ पर्यावरण सर्वेक्षण प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इस मौके पर उपस्थित थे।

दस स्टेशन शामिल किए गए

उनका कहना था कि इस रेलमार्ग पर दस स्टेशन हैं, दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, ब्यास और अमृतसर। रेल की गति लगभग 350 km/h होगी। इस रेल की औसत गति 250 किमी/घंटा होगी और उसकी गति 320 किमी/घंटा होगी। यह दिल्ली, हरियाणा और पंजाब को प्रभावित करेगा।

हर मुद्दे पर लोगों की प्रतिक्रिया

HSR परियोजना के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों और उनके समाधान के सभी पहलुओं को लेकर कुरुक्षेत्र जिले के लोगों से परामर्श लिया गया है। NHSCRL पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो निर्माण और संचालन चरणों में सर्वोत्तम प्रबंधन का पालन करता है।

निर्माण के दौरान पर्यावरण प्रबंधन योजना का पालन सुनिश्चित करने के लिए, यह तैयार किया गया है और ठेकेदारों के निविदा दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा। उनका कहना था कि वृक्षों के कटान के लिए प्रतिपूरक वृक्षारोपण राज्य की वन नीतियों के अनुरूप किया जाएगा।