बच्चों के सामने माता-पिता भूलकर भी ना करे ये काम, वरना बाद में करेंगे अफसोस
लड़ाई की बात
एक स्वस्थ पारिवारिक माहौल के लिए जरूरी है कि माता-पिता अपने झगड़े बच्चों के सामने न करें. चिल्लाकर लड़ना या तीखी बहस करना बच्चों को चिंतित और असुरक्षित महसूस करा सकता है. ऐसे में उनके सामने मुद्दों को शांति से सुलझाने की कोशिश करें.
आलोचना से बचें
बच्चों की हर छोटी-बड़ी गलती पर नकारात्मक प्रतिक्रिया देना उनके आत्म-सम्मान को कमजोर कर सकता है. इसके बजाय सकारात्मक प्रोत्साहन और समझाइश का उपयोग करें.
टेक्नोलॉजी का संतुलित उपयोग
पारिवारिक समय के दौरान लगातार फोन या कंप्यूटर पर ध्यान देना बच्चों को यह संदेश देता है कि यह व्यवहार स्वीकार्य है. इससे बचने की कोशिश करें और उनके साथ समय बिताने पर ध्यान दें.
पार्टनर की आलोचना न करें
बच्चों के सामने अपने पार्टनर की आलोचना करना उन्हें यह सिखाता है कि दूसरों को नीचा दिखाना स्वीकार्य है. इससे उनका नजरिया नकारात्मक हो सकता है.
अलग सोना
झगड़े के बाद अलग-अलग कमरों में सोने से बच्चों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है. इससे उन्हें लग सकता है कि बहस का मतलब हमेशा अलगाव होता है.
पारिवारिक मुद्दों को शेयर न करें
बड़े मुद्दों को बच्चों के साथ शेयर करने से बचें, क्योंकि यह उन पर मानसिक बोझ डाल सकता है. बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार समस्याओं से अवगत कराना चाहिए.