जिनकी संतान में होते है ये खास गुण वो माता पिता होते है बेहद भाग्यशाली, परिवार का नाम करते है रोशन
भारतीय इतिहास में चाणक्य एक ऐसी नीति हैं जिनका ज्ञान आज भी लोग अपनाते है। वे न केवल विज्ञान, राजनीति और अर्थशास्त्र में पारंगत थे बल्कि व्यवहारिक जीवन के पहलुओं पर भी उनकी गहरी समझ थी। उन्होंने संतान संबंधी ज्ञान भी शेयर किया जिससे उनके महान ज्ञान का परिचय मिलता है।
संतान में आदर्श गुणों की पहचान
चाणक्य ने बताया है कि संतान की पहली पहचान उसके संस्कार होते हैं। एक संस्कारी संतान ही अपने माता-पिता का गुरुजनों का और स्त्रियों का सम्मान करती है। चाणक्य का मानना था कि जो संतान इन बातों को अपने जीवन में उतार लेती है वही सच्चे अर्थों में सौभाग्यशाली होती है।
संतान की व्यक्तिगत जिम्मेदारियाँ
एक ऐसी संतान जो अच्छे और बुरे का भेद समझती है वह न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी उत्तम सिद्ध होती है। ऐसी संतान चाणक्य के अनुसार न केवल परिवार का बल्कि कुल का नाम भी रोशन करती है।
आज्ञाकारिता और सम्मान का महत्व
चाणक्य ने यह भी कहा है कि जो संतान अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करती है वह सच्चे अर्थों में सौभाग्यशाली होती है। ऐसी संतान न केवल अपने जीवन में सफल होती है बल्कि अपने माता-पिता को भी गौरवान्वित करती है।
माता-पिता की भूमिका
चाणक्य की नीतियाँ संतान के गुणों पर ही नहीं बल्कि माता-पिता की भूमिका पर भी प्रकाश डालती हैं। वे कहते हैं कि जिस तरह एक किसान फसल की देखभाल करता है उसी तरह माता-पिता को भी अपनी संतान की देखभाल करनी चाहिए। उनके रहन-सहन उनके संस्कार और उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
