भारत की इस नदी के पानी को छूने से भी डरते है लोग, वजह जानकर तो आपको भी नही होगा विश्वास
भारत (India) जो अपनी सांस्कृतिक विविधता (Cultural diversity) और अद्भुत प्राकृतिक संपदा (Natural heritage) के लिए जाना जाता है वहां कुछ ऐसी नदियां भी हैं जिनसे जुड़ी अनूठी मान्यताएं (Beliefs) और प्रचलित (Legends) हैं जो उन्हें विशेष बनाती हैं। ऐसी ही एक नदी है कर्मनाशा (Karmanasha), जिसे लोग शापित (Cursed) मानते हैं और इसके पानी को छूने से भी कतराते हैं।
शापित मानी जाने वाली नदी
कर्मनाशा नदी जिसका अर्थ है 'कर्म को नष्ट करने वाली', उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और बिहार (Bihar) के मध्य बहती है। इसका अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में है जहां यह सोनभद्र (Sonbhadra), चंदौली (Chandauli), वाराणसी (Varanasi), और गाजीपुर (Ghazipur) जैसे जिलों से होकर गुजरती है और अंततः बक्सर (Buxar) के पास गंगा (Ganga) में मिल जाती है। इस नदी से जुड़ी अवधारणाएं (Concepts) और मान्यताएं (Beliefs) इतनी गहरी हैं कि लोग इसे देखना भी पसंद नहीं करते खासकर जब वे किसी शुभ कार्य (Auspicious work) के लिए बाहर निकलते हैं।
लोगों की आस्था और भय
कर्मनाशा नदी के प्रति लोगों का भय (Fear) इतना अधिक है कि वे इसके पानी को छूने से भी कतराते हैं। लोगों का मानना है कि इस नदी का पानी छूने से न सिर्फ उनके काम बिगड़ जाते हैं बल्कि अच्छे कर्म (Good deeds) भी खत्म हो जाते हैं। यह विश्वास (Belief) इस कदर प्रबल है कि यह नदी अपने आस-पास के इलाकों में एक अशुभ चिन्ह (Omen) के रूप में देखी जाती है।
कर्मनाशा नदी का सांस्कृतिक महत्व
बावजूद इसके कर्मनाशा नदी का अपना एक सांस्कृतिक महत्व (Cultural significance) भी है। यह नदी न सिर्फ भौगोलिक (Geographical) बल्कि आध्यात्मिक रूप (Spiritual aspect) से भी इस क्षेत्र के लोगों के जीवन में गहराई से जुड़ी हुई है। इस नदी की कहानियां और मान्यताएं समय के साथ-साथ लोक कथाओं (Folk tales) और आख्यानों (Narratives) में संजोई गई हैं जो इसके विशेष स्थान को दर्शाती हैं।