पिछले 75 सालों से इस ट्रेन में मुफ्त ही सवारी कर रहे है लोग, आजतक नही आया कोई TTE
भारतीय रेल की यात्रा लगभग 186 साल पहले शुरू हुई जब 1836 में ब्रिटिश शासन के दौरान इसकी नींव रखी गई। आज 68 हजार किलोमीटर से अधिक की विशाल पटरी लंबाई 13200 पैसेंजर ट्रेनों और 7325 स्टेशनों के साथ भारतीय रेलवे विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है।
यहाँ विभिन्न श्रेणियों में यात्रा करने की सुविधा उपलब्ध है जो हर व्यक्ति की जरूरत और बजट के अनुरूप है। भारतीय रेल का इतिहास न केवल यात्रा और परिवहन के विकास की कहानी कहता है बल्कि यह भारत की विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी दर्शाता है।
भाखड़ा-नंगल ट्रेन इसी विरासत का एक जीवंत प्रमाण है जो वित्तीय लाभ से परे जाकर इतिहास और परंपरा को संजोने का कार्य करती है। यह ट्रेन न केवल यात्रियों को मुफ्त में यात्रा का अनुभव प्रदान करती है बल्कि उन्हें भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा बनने का मौका भी देती है।
इस रूट पर चलती है ये ट्रेन
भारत में एक ऐसी भी ट्रेन है जिसमें यात्री पिछले 75 वर्षों से मुफ्त में यात्रा कर रहे हैं। यह ट्रेन केवल एक विशेष रूट पर चलती है और इसका संचालन भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) द्वारा किया जाता है।
भाखड़ा-नंगल ट्रेन का नाम उस इलाके के नाम पर पड़ा है जहां यह चलती है और यह ट्रेन सतलुज नदी और शिवालिक पहाड़ियों के मनोरम दृश्यों के बीच 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
नहीं होता कोई TTE
1948 में शुरू की गई यह ट्रेन अपने लकड़ी के कोचों और टीटीई के अभाव के लिए जानी जाती है। प्रारंभ में इस ट्रेन में 10 कोच थे लेकिन अब यह सिर्फ 3 कोच के साथ चलती है। इसके पीछे की वजह और इसकी ऐतिहासिक विरासत इसे और भी खास बनाती है।
ट्रेन को माना जाता है विरासत
भाखड़ा-नंगल ट्रेन ने समय के साथ कई बदलाव देखे हैं। 2011 में वित्तीय घाटे के कारण इसे बंद करने का विचार आया था लेकिन फिर यह निर्णय लिया गया कि इसे आय के स्रोत के रूप में नहीं बल्कि विरासत और परंपरा के रूप में संजोया जाए। भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के दौरान इस ट्रेन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भाखड़ा-नंगल सैलानियों का आकर्षण
आज इस ट्रेन का सफर न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि सैलानियों के लिए भी एक अनूठा आकर्षण है। यह उन्हें इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और इंजीनियरिंग के कमाल का अनुभव कराता है। भाखड़ा-नंगल ट्रेन भारतीय रेलवे की एक अनूठी धरोहर है जो इतिहास और संस्कृति की गहराईयों को छूती है।