दिवाली से पहले ही कच्चे तेल की कीमतो में गिरावट जारी, जाने पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर कितना पड़ेगा असर
इजरायल-हमास के बीच जारी जंग की शुरुआत के बाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल के दाम में बड़ा उछाल आया और 93 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। लेकिन युद्ध अभी भी जारी है, इसके बावजूद कच्चे तेल की कीमतों में अचानक बड़ी गिरावट आई है, जो कई देशों को राहत दी है।
बुधवार को क्रूड की कीमत में 5% की गिरावट हुई। घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी अंतरराष्ट्रीय क्रूड कीमतों का असर पड़ता है। यही कारण है कि भारत में दिवाली (Diwali 2023) से पहले सरकार क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी लाएगी?
80 डॉलर के नीते क्रूड ऑयल की कीमत
अब ब्रेंट क्रूड की कीमत में लगभग 5% की गिरावट आई है, जो 79.80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। जबकि WTI की कीमत घटकर 75.62 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट के बाद भाव तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। कीमतों में कमी को कारण बताया जा रहा है।
ये है कीमतों में गिरावट का कारण
इजरायल हमास युद्ध के दौरान बिगड़े भू-राजनैतिक परिस्थितियों के बीच, यूएस से मिडिल ईस्ट तक कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी के पीछे के कारणों में से एक है क्रूड तेल की सप्लाई में बढ़ोतरी। US और OPEC ने आवश्यकता से अधिक सप्लाई की है।
डॉलर इंडेक्स में इजाफे की वजह से क्रूड की कीमतों पर भी दबाव बढ़ता हुआ दिखाई देता है। दिवाली से पहले कच्चे तेल की कीमतों में हुई इस गिरावट से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सुधार की उम्मीद भी बढ़ गई है। पहले भी दिवाली से पहले दी गई थी राहत
मोदी सरकार ने त्योहारी सीजन में लोगों को कई राहत दी हैं। रक्षाबंधन से ठीक पहले LPG (रसोई गैस) की कीमतों में 200 रुपये की कटौती इसका एक बड़ा उदाहरण है। यदि पेट्रोल और डीजल की कीमतों की बात करें तो सरकार ने दिवाली से पहले ही इनकी कीमतों में कमी कर दी है। चार नवंबर 2021 को सरकार ने पेट्रोल को पांच रुपये और डीजल को दस रुपये सस्ता कर दिया। साथ ही, देश में ईंधन की कीमतें पिछली बार 24 मई 2022 को बदली गई थीं, लेकिन तब से वे स्थिर रहे हैं।
ऐसे असर डालता है क्रूड ऑयल
विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी प्रभाव डालता है। देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत 50 से 60 पैसे बढ़ने की संभावना रहती है अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमत में एक डॉलर का इजाफा होता है। यही कारण है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी इसी आधार पर घट-बढ़ जाती है।
याद रखें कि भारत बाहर से 85 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल खरीदता है, जो उसकी आवश्यकता का बड़ा आयातक है। भारत को अमेरिकी डॉलर में आयातित कच्चे तेल का भुगतान करना होगा। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने और डॉलर की मजबूतता से घरेलू ईंधन महंगे होने लगते हैं।