इंसान के लिए फोन की लत ज्यादा खतरनाक है या शराब की लत, सच्चाई सुनकर तो आपके भी उड़ जाएंगे होश
आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन और इंटरनेट (Mobile and Internet) ने हमारे जीवन को अत्यधिक सुविधाजनक और जुड़ा हुआ बना दिया है। यह तकनीकी उन्नति हमारे रोजमर्रा के कामों में एक वरदान साबित हो रही है। हालांकि इसका एक अंधेरा पहलू भी है।
जिसे हम मोबाइल फोन की लत (Mobile Addiction) के रूप में जानते हैं। इस डिजिटल युग में मोबाइल फोन की लत को नियंत्रित करना और एक स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle) अपनाना हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है।
बच्चों में बढ़ता मोबाइल फोन का प्रभाव
हैप्पीनेट्ज के सर्वे के अनुसार आज के बच्चे और किशोर डिजिटल गेमिंग (Digital Gaming), यूट्यूब (YouTube) जैसे मनोरंजन साधनों पर अत्यधिक समय बिता रहे हैं। इस डिजिटल दुनिया में उनका बचपन और किशोरावस्था गुज़र रही है। जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य (Mental and Physical Health) पर गहरा प्रभाव डाल रही है।
नशे की तरह व्यसनी बनती तकनीक
डॉ. अन्ना लेंबके के अनुसार, मोबाइल फोन ने नशे के एक नए रूप को जन्म दिया है। जिसमें लोग बिना किसी नशीले पदार्थ के आदी हो रहे हैं। यह आदत न केवल बच्चों में बल्कि बड़ों में भी चिंता अवसाद (Anxiety and Depression) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रही है।
शराब की लत से तुलना
शराब की लत की तरह मोबाइल फोन की लत भी व्यक्ति को चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना देती है। खासकर जब उन्हें अपना फोन उपयोग करने को नहीं मिलता। इसका दीर्घकालिक प्रभाव उनकी सामाजिक संबंधों (Social Relationships) और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
स्वास्थ्य पर असर
चाहे वह बच्चे हों या बड़े मोबाइल फोन की लत उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। यह लत उन्हें आवश्यक शारीरिक गतिविधियों (Physical Activities) से दूर करती है और मानसिक स्थिरता को भी प्रभावित करती है।