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भारत में इन जगहों पर होती है नोटों कि छपाई, जाने किस जगह से आता है नोट छापने का कागज और स्याही

अक्सर हम जिन नोटों का इस्तेमाल करते हैं उनके निर्माण की प्रक्रिया पर ध्यान नहीं देते. भारतीय नोटों की छपाई एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें हाई सुरक्षा नियमों का पालन किया जाता है.
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Notes Printing in India: अक्सर हम जिन नोटों का इस्तेमाल करते हैं उनके निर्माण की प्रक्रिया पर ध्यान नहीं देते. भारतीय नोटों की छपाई एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें हाई सुरक्षा नियमों का पालन किया जाता है. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि भारत में नोट कहां छपते हैं और इसके लिए आवश्यक सामग्री कहां से आती है.

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नोट छापने की जगह

भारत में चार प्रमुख स्थान हैं जहां नोटों की छपाई होती है—नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी. नासिक और देवास की प्रिंटिंग प्रेस वित्त मंत्रालय के अंतर्गत सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) की देख रेख में काम करती हैं.

नोटों के लिए पेपर और स्याही का स्रोत

मैसूर और सालबोनी के प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी, भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के तहत काम करते हैं. नोट का कागज मुख्य रूप से जर्मनी, यूके, और जापान से आयातित होता है जबकि स्याही का आयात स्विट्जरलैंड से किया जाता है.

स्याही के प्रकार और इस्तेमाल

नोटों की छपाई में तीन प्रकार की स्याही का इस्तेमाल होता है: इंटैगलियो, फ्लूरोसेंस और ऑप्टिकल वेरिएबल इंक. इंटैगलियो इंक का इस्तेमाल महात्मा गांधी की तस्वीर और अन्य महत्वपूर्ण चित्रों को छापने के लिए किया जाता है जबकि फ्लूरोसेंस इंक नोटों के नंबर पैनल पर इस्तेमाल होती है.

नोटों की सुरक्षा विशेषताएं

ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल नोटों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, ताकि उनकी नकल न हो सके. यह विशेष इंक नोटों पर खास असर पैदा करती है जो केवल विशेष प्रकाश में ही दिखाई देते हैं.

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट छपाई में पूर्ण रूप से घरेलू पेपर और स्याही के इस्तेमाल की बात कही थी. यह भारत को नोट छपाई में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.