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केवल कैंसिल टिकट से ही रेल्वे ने कर ली करोड़ों की कमाई, पिछले साल का आंकड़ा देखकर तो पैरो तले खिसक जाएगी जमीन

भारतीय रेल, जो कि देश के सबसे बड़े परिवहन नेटवर्क में से एक है हर रोज लाखों यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाता है। यह विशाल नेटवर्क न सिर्फ यात्रा से कमाई करता है बल्कि टिकट रद्दीकरण शुल्क के रूप में भी एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है। जब भी एक यात्री अपनी यात्रा योजना में बदलाव करता है और टिकट को रद्द करता है तब रेलवे द्वारा एक निर्धारित शुल्क लिया जाता है।

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भारतीय रेल, जो कि देश के सबसे बड़े परिवहन नेटवर्क में से एक है हर रोज लाखों यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाता है। यह विशाल नेटवर्क न सिर्फ यात्रा से कमाई करता है बल्कि टिकट रद्दीकरण शुल्क के रूप में भी एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है। जब भी एक यात्री अपनी यात्रा योजना में बदलाव करता है और टिकट को रद्द करता है तब रेलवे द्वारा एक निर्धारित शुल्क लिया जाता है।

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जोन वार कमाई की स्थिति

विभिन्न रेलवे जोन द्वारा इकट्ठा किया जाने वाला टिकट रद्दीकरण शुल्क काफी बड़ी राशि में होता है। उदाहरण के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे ने अकेले इस वर्ष के पहले तीन महीनों में ही लगभग 111 करोड़ रुपए की कमाई की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पूरे देश के 17 जोन्स में यह कमाई कितनी अधिक हो सकती है।

दोहरी कमाई का मॉडल

टिकट रद्द करने पर जो शुल्क लिया जाता है वह रेलवे के लिए दोहरी कमाई का अवसर बन जाता है। पहला रद्द करने वाले यात्री से शुल्क लेकर और दूसरा उसी सीट को फिर से किसी दूसरे यात्री को आरक्षित कर के। इस तरह से रेलवे को एक ही सीट से दो बार आय होती है जो उसके लिए वित्तीय लाभ का प्रमुख स्रोत बन जाता है।

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यात्री के लिए रिफंड की प्रक्रिया

रेलवे द्वारा जब कभी ट्रेन रद्द की जाती है, तब यात्री को रिफंड की गारंटी दी जाती है। ऐसी स्थिति में, रेलवे 6 से 7 दिन के अंदर यात्री को टिकट की पूरी राशि वापस कर देता है। यदि यात्री का रिजर्वेशन कंफर्म नहीं होता और उसे यात्रा नहीं करनी पड़ती, तब भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।