भारत के इस एक्सप्रेसवे पर जल्द ही सेटेलाइट टोल टैक्स सिस्टम होगा लागू, जाने कैसे कटेग़ा टोल और कैसे काम करती है ये तकनीक
भारतीय यातायात प्रणाली में एक नया अध्याय जोड़ते हुए। द्वारका एक्सप्रेसवे पर आने वाले दो महीनों में सैटेलाइट आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू की जाएगी। यह भारत का पहला एक्सप्रेसवे होगा जो इस अत्याधुनिक प्रणाली का उपयोग करेगा।
इस तकनीक को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए बेंगलुरु-मैसूर हाइवे पर परीक्षण किया जा रहा है। द्वारका एक्सप्रेसवे पर सैटेलाइट आधारित टोल वसूली प्रणाली का शुभारंभ न केवल टोल वसूली में एक नई तकनीकी क्रांति है।
बल्कि यह भविष्य के स्मार्ट यातायात प्रबंधन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे अन्य एक्सप्रेसवे और हाइवेज पर भी इसी तरह की प्रणालियों को अपनाने की संभावना बढ़ जाएगी। जिससे भारतीय यातायात प्रणाली और अधिक कुशल और पारदर्शी बनेगी।
टोल वसूली की अनूठी पद्धति
इस नई प्रणाली के तहत वाहन चालकों को टोल गेट पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। वाहन के चलते-चलते ही टोल की राशि वाहन चालक के खाते से अपने आप कट जाएगी। यह प्रणाली वाहन द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल निर्धारित करेगी। जिससे न्यायसंगत और सटीक चार्जिंग सुनिश्चित होगी।
टेक्नोलॉजी की भूमिका
द्वारका एक्सप्रेसवे पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे लगाए गए हैं, जो सभी एंट्री और एग्जिट प्वाइंट्स पर मौजूद हैं। जीपीएस टोल कलेक्शन सिस्टम जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर कार्य करता है। वाहनों की सटीक लोकेशन को ट्रैक करने में सक्षम है। यह प्रणाली दूरी के हिसाब से टोल निर्धारित करती है। जिससे वाहन चालक को अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी अनुभव प्राप्त होता है।
उपभोक्ता के लिए लाभ
इस नई प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वाहन चालकों को टोल गेट पर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जिससे यात्रा का समय कम होगा और ईंधन की बचत होगी। इसके अलावा टोल की राशि, तय की गई दूरी के आधार पर निर्धारित होगी। जिससे वाहन चालक को केवल उसी दूरी के लिए भुगतान करना पड़ेगा जो उसने यात्रा की है।