हरियाणा की तर्ज पर चंडीगढ़ में बनेगा कौशल रोजगार निगम, इन कर्मचारियों को होगा सीधा फायदा
आज के समय में रोजगार का सृजन एक महत्वपूर्ण चुनौती बन चुका है। इसी दिशा में, हरियाणा सरकार द्वारा कौशल रोजगार निगम (HKRN) का गठन एक अभिनव कदम रहा है। इस निगम की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार प्रदान करना और ठेकेदारों की मनमानी पर रोक लगाना था।
इसके सफलता को देखते हुए अब चंडीगढ़ में भी इसी तर्ज पर रोजगार निगम बनाने की दिशा में पहल की जा रही है। चंडीगढ़ में रोजगार निगम की स्थापना से न केवल आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत मिलेगी बल्कि यह भ्रष्टाचार और शोषण को रोकने में भी सहायक होगा।
यह कदम राज्य में रोजगार के नए अवसर सृजित करने और समाज में आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देगा। आशा की जाती है कि इस पहल से चंडीगढ़ के युवाओं को नई दिशा मिलेगी और उनकी समस्याओं का समाधान होगा।
चंडीगढ़ में रोजगार निगम की आवश्यकता
चंडीगढ़ जो कि एक केंद्र शासित प्रदेश है चंडीगढ़ में लगभग 16,500 आउटसोर्स कर्मचारी सेवारत हैं। इन कर्मचारियों के लिए रोजगार निगम का गठन एक सकारात्मक खबर साबित हो सकता है।
यह निगम न केवल उन्हें स्थायी रोजगार प्रदान करेगा बल्कि शोषण और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाएगा। यूटी प्रशासन इस दिशा में विचार-विमर्श कर रहा है, जिससे कर्मचारियों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
भ्रष्टाचार पर लगेगी रोक
रोजगार निगम या नोडल एजेंसी का प्रावधान कर्मचारियों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। इससे उनके शोषण को रोकने के साथ-साथ भर्ती प्रक्रिया में आने वाले भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
प्रशासक के सलाहकार राजीव वर्मा ने इस बारे में विभिन्न वर्गों से चर्चा की और कर्मचारियों की समस्याओं को सुना। यह कदम उनके हितों की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
वेतन में देरी की समस्या
कई कर्मचारियों को 2-2 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनमें असंतोष और परेशानी का माहौल है। इस समस्या का समाधान रोजगार निगम या किसी एजेंसी के गठन से किया जा सकता है। इससे न केवल वेतन वितरण में सुधार होगा बल्कि कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।