साबुन तो अनेकों रंग का होता है फिर झाग सफेद ही क्यों आता है, असली जवाब तो आप सोच भी नही सकते
घरों में इस्तेमाल होने वाले साबुनों की विविधता न केवल उनके उपयोगिता में होती है। बल्कि उनके आकर्षक रंगों में भी होती है। चाहे वह कपड़े धोने वाला साबुन हो या फिर नहाने का हर एक का रंग अपनी एक खासियत रखता है। लेकिन एक दिलचस्प प्रश्न जो अक्सर उठता है वह यह है कि इतने विविध रंगों के साबुनों से निकलने वाले झाग का रंग सफेद क्यों होता है?
इस लेख में हम इसी रोचक प्रश्न के उत्तर को विस्तार से समझेंगे। साबुन के रंगीन बुलबुलों से निकलने वाले सफेद झाग के पीछे की साइंस हमें यह समझने में मदद करती है कि प्रकृति और विज्ञान किस प्रकार से हमारे दैनिक जीवन से जुड़े हैं।
यह ज्ञान न केवल हमारी जिज्ञासा को शांत करता है बल्कि हमें उन छोटी-छोटी चीजों की सराहना करने की ओर भी प्रेरित करता है जो हमें आमतौर पर साधारण लगती हैं।
सफेद झाग का वैज्ञानिक सिद्धांत
सफेद झाग की उत्पत्ति के पीछे का विज्ञान बेहद सरल है। दरअसल यह सिद्धांत प्रकाश और उसकी प्रकृति पर आधारित है। जब हम किसी वस्तु का रंग देखते हैं तो वास्तव में हम उस वस्तु द्वारा परावर्तित या अवशोषित प्रकाश की किरणों को देखते हैं।
एक वस्तु सफेद तब दिखाई देती है जब वह प्रकाश की सभी किरणों को समान रूप से परावर्तित करती है। इसी तरह साबुन के झाग में बनने वाले छोटे-छोटे बुलबुले प्रकाश को इस प्रकार से परावर्तित करते हैं कि वे सफेद दिखाई देते हैं।
झाग का रंगीन अवलोकन
यद्यपि साबुन के झाग मुख्यतः सफेद दिखाई देते हैं। कभी-कभार इन बुलबुलों पर सूरज की किरणें पड़ने पर कई रंग दिखाई देते हैं। यह रंगीन पैटर्न प्रकाश के विभिन्न तरंगदैर्घ्यों के बुलबुले की सतह से होकर गुजरने और उसके प्रतिबिंबित होने के कारण उत्पन्न होता है। इस प्रकार ये विविध रंग साबुन के झाग की सतह पर एक खूबसूरत इंद्रधनुषी आभा बिखेरते हैं।
नहाने वाले साबुन के झाग की विशेषता
नहाने वाले साबुन और अन्य सफाई के उत्पादों में मौजूद विशेष तत्व जैसे कि मोम उनके झाग को और भी अधिक सघन और सफेद बना देते हैं। इस कारण से इन उत्पादों के झाग न केवल सफेद होते हैं। बल्कि उनकी संरचना भी काफी गाढ़ी होती है। जिससे उनका सफेद रंग और भी प्रखर हो जाता है।