पाकिस्तान को आजादी की बधाई देने वालों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बोली ये बड़ी बात
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें अनुच्छेद 370 की आलोचना और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने को अपराध के दायरे से बाहर बताया गया है। इस निर्णय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक नई दिशा प्रदान की है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल जावेद हजाम के लिए है। बल्कि भारतीय लोकतंत्र के हर नागरिक के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की एक बड़ी जीत है। यह निर्णय भारत में विचारों की स्वतंत्रता और वैचारिक विविधता को मजबूती प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर नागरिक अपने विचारों को निडर होकर व्यक्त कर सके।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने स्पष्ट किया कि हर नागरिक को अनुच्छेद 19 के तहत अपनी बात कहने का अधिकार है। यह निर्णय विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए एक राहत प्रदान करता है। जिन्हें अपने विचार व्यक्त करने पर कानूनी पचड़ों में फंसना पड़ा था।
क्या था पूरा मामला
याचिकाकर्ता जावेद हजाम जो कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक प्रोफेसर हैं ने अपने WhatsApp स्टेटस पर अनुच्छेद 370 की आलोचना करते हुए और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए संदेश पोस्ट किए थे। इसे लेकर IPC की धारा 153ए के तहत उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता का उद्देश्य केवल सरकारी नीतियों की आलोचना करना था और यह किसी भी तरह से अपराध नहीं बनता। अदालत ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में माना।
अदालत का स्पष्टीकरण
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी अन्य देश के नागरिक को उनके स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देना फिर चाहे वह पाकिस्तान भी हो तो भी यह अपराध नहीं माना जाएगा। यह सद्भावना का प्रतीक है और इसे अपराध के रूप में नहीं देखा जा सकता।