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इन महिलाओं का खून, पसीना और थूक सब होता है जहरीला, किसी को नाखून से काट ले तो बंदे का काम तमाम

भारतीय इतिहास के पन्नों में विषकन्याओं की कहानियां एक अनसुलझी पहेली की तरह हैं। प्राचीन समय में राजा-महाराजा अपनी सुरक्षा और शत्रुओं को परास्त करने के लिए विषकन्याओं का इस्तेमाल करते थे।
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भारतीय इतिहास के पन्नों में विषकन्याओं की कहानियां एक अनसुलझी पहेली की तरह हैं। प्राचीन समय में राजा-महाराजा अपनी सुरक्षा और शत्रुओं को परास्त करने के लिए विषकन्याओं का इस्तेमाल करते थे। ये विषकन्याएं न केवल एक 'ह्यूमन वेपन' का काम करती थीं बल्कि उन्हें एक खास प्रक्रिया के तहत तैयार किया जाता था।

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विषकन्याओं की कहानियां चाहे वह मिथक हों या इतिहास हमें यह दिखाती हैं कि प्राचीन समय में भी राजनीतिक और सैन्य रणनीतियां कितनी विकसित और जटिल थीं। आज भी इन रणनीतियों की प्रासंगिकता और प्रेरणा के रूप में देखी जा सकती है जो हमें रणनीतिक योजना और मानवीय संसाधनों के प्रबंधन के बारे में सिखाती हैं।

विषकन्या बनने की शुरुआत

खूबसूरत और निर्दोष बच्चियों को चुनकर विषकन्या बनाने की शुरुआत होती थी। इनमें ज्यादातर अवैध संतानें या अनाथ एवं गरीब बच्चियां होती थीं। राजमहल में रखकर इनकी परवरिश की जाती थी और फिर उन्हें जहरीला बनाने की प्रक्रिया आरंभ होती थी। इस प्रक्रिया में उन्हें विभिन्न प्रकार के जहरों का सेवन कराया जाता था।

विषकन्याओं की ट्रेनिंग

जीवित रहने वाली बच्चियों को नृत्य गीत साहित्य और आकर्षण की कला में पारंगत बनाया जाता था। उन्हें इस प्रकार से तैयार किया जाता था कि वे किसी भी राजा या महाराजा को लुभा सकें। युवा होने पर वे इतनी विषैली हो जाती थीं कि उनके स्पर्श मात्र से ही मौत संभव थी।

विषैला बनाने की वैज्ञानिक प्रक्रिया

लड़कियों को जहरीला बनाने की प्रक्रिया को मिथ्रिडायटिज़म कहा जाता है। इस प्रक्रिया में जहर को धीरे-धीरे शरीर में प्रवेश कराकर व्यक्ति को उस जहर के प्रति प्रतिरोधी बनाया जाता है। इससे उनका शरीर जहरीला हो जाता था और वे दुश्मनों के लिए एक घातक हथियार बन जाती थीं।

मिथक और इतिहास में विषकन्याएं

विषकन्याओं का जिक्र हिंदू माइथोलॉजी से लेकर ग्रीक इतिहास तक में मिलता है। सिकंदर महान के भारत आगमन के दौरान भी विषकन्याओं की चर्चा थी। चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी इनका उल्लेख मिलता है।

आधुनिक समय में विषकन्या की अवधारणा

हालांकि पुराने समय में विषकन्याओं के अस्तित्व का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिलता फिर भी आज के समय में हनी ट्रैप को विषकन्याओं का आधुनिक रूप माना जाता है। इस तरह की रणनीतियां आज भी गुप्तचरी और जासूसी में इस्तेमाल की जाती हैं।