स्मार्ट मीटर की मदद से बकाया पैसा वसूलेगा विभाग, बिजली विभाग ने ढूंढ निकाला एक अनोखा तरीका
बिजली के क्षेत्र में नई तकनीकों की दिशा में बढ़ते हुए। नए स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर अब सिर्फ बिजली के उपयोग का हिसाब ही नहीं रखेंगे बल्कि पुराने बकाए को भी धीरे-धीरे वसूलेंगे। यह मीटर उपभोक्ताओं को रिचार्ज करने पर पहले बकाया राशि को काटेगा।
उसके बाद बिजली जलाने के लिए शेष राशि को समायोजित करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य बिजली बिलों की वसूली को सुनिश्चित करना और बकाया राशि को नियंत्रित तरीके से वसूलना है।
ये भी पढ़िए :- हरियाणा में इन लोगों के राशन कार्ड पर हुई बड़ी कार्रवाई, धड़ाधड़ काटे जा रहे है ये राशन कार्ड
गोरखपुर-बस्ती मंडल में नई तकनीक की शुरुआत
गोरखपुर-बस्ती मंडल में जून महीने से यह स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस कदम से निगम को उम्मीद है कि उनकी 90 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
इस प्रक्रिया के लिए जियो टैगिंग का काम भी तेजी से चल रहा है जिससे कि हर कनेक्शन की सटीक जानकारी प्रणाली में दर्ज की जा सके।
जियो टैगिंग की प्रक्रिया और इसके लाभ
गोरखपुर महानगर में सभी 26 उपकेंद्रों की जियो टैगिंग पूरी हो चुकी है। इस प्रक्रिया का मकसद बिजली व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाना है। जियो टैगिंग के जरिए उपभोक्ताओं के कनेक्शन की सटीक स्थिति और उपयोग का डेटा आसानी से प्राप्त हो सकेगा जिससे व्यवस्थागत दक्षता बढ़ेगी।
तकनीकी विशेषताएं और उपभोक्ता सहयोग
जीनस कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक विक्रांत मिश्र के अनुसार यह स्मार्ट प्रीपेड मीटर अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसमें कई विशेष फीचर्स हैं। इस मीटर के जरिए उपभोक्ताओं के बिल और बकाया प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।
कर्मचारी उपभोक्ताओं के परिसर में जाकर तेजी से जियो टैगिंग कर रहे हैं जिससे कि स्थापना के समय उच्च स्तरीय सटीकता सुनिश्चित हो सके।
ये भी पढ़िए :- दिल्ली कटरा एक्सप्रेसवे को लेकर हरियाणा वालों की हुई मौज, इस महीने तक निर्माण कार्य हो जायेगा पूरा
उपभोक्ता जागरूकता और अनुपालन
स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्थापना के साथ उपभोक्ताओं को अब अपनी बिजली खपत पर अधिक नियंत्रण और पारदर्शिता मिलेगी। यह मीटर उपयोग के आधार पर रिचार्ज की गई राशि का उपयोग करेगा और जब रिचार्ज खत्म हो जाएगा तो बिजली अपने आप कट जाएगी।
जिससे अनावश्यक उपयोग और दुरुपयोग पर रोक लगेगी। इसके अलावा यदि उपभोक्ता के परिसर में बिजली का लोड अधिक होगा तो यह तकनीक उसे भी संभाल लेगी जिससे ओवरलोडिंग की समस्या से निजात मिलेगी।