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भारत का पहला राजा जो ब्याह करके लाया था विदेशी बहु, इस शादी के होने से ग़ुस्सा हो गए थे अंग्रेज

एक भारतीय महाराजा की ये प्रेम कहानी खूबसूरत भी है और अपने प्रेम को निभाने के लिए राजपाट छोड़ देने वाली भी है। दक्षिण भारत की एक छोटी सी रियासत पुडुकोट्टी के राजा मार्तण्ड ने एक आस्ट्रेलियाई लड़की से प्यार हो गया और उन्होंने उससे शादी कर ली। हालाँकि, जब भारत पर शासन कर रहे अंग्रेजों को पता चला, तो वे बहुत नाराज हो गए। 
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Martanda Bhairava Tondaiman

एक भारतीय महाराजा की ये प्रेम कहानी खूबसूरत भी है और अपने प्रेम को निभाने के लिए राजपाट छोड़ देने वाली भी है। दक्षिण भारत की एक छोटी सी रियासत पुडुकोट्टी के राजा मार्तण्ड ने एक आस्ट्रेलियाई लड़की से प्यार हो गया और उन्होंने उससे शादी कर ली। हालाँकि, जब भारत पर शासन कर रहे अंग्रेजों को पता चला, तो वे बहुत नाराज हो गए, उनके कड़े नियमों के अनुसार, यदि कोई भारतीय राजा या सम्राट किसी विदेशी महिला से विवाह करता है, तो उन्हें अपना सिंहासन खोना पड़ेगा। राजा मार्तंड के साथ भी यही हुआ, जिन्होंने अपना शेष जीवन भारत के बाहर व्यतीत किया।

राजा मार्तंड की प्रेम कहानी बनी मिसाल

राजा मार्तंड की प्रेम कहानी समर्पण और अपनी पत्नी के साथ वफादारी की एक मिसाल है, जिसने उन्हें अंग्रेजों के दबाव के आगे नहीं झुकने में मदद की। राजा मार्तंड टोंडियन बहादुर दक्षिण भारत में पुदुकोट्टी की छोटी रियासत के शासक थे। उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई महिला मौली पिंक और उसकी मां से प्यार हो गया। जब राजा ऑस्ट्रेलिया घूमने गया तो वहां होटल में मौली और उसकी मां से मुलाकात हुई।

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शादी के बाद उठानी पड़ी बहुत सी कठिनाइयाँ

राजा को पहली नजर में उस विदेशी लड़की से प्यार हो गया और उन्होंने शादी कर ली। हालाँकि, उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्हें गद्दी छोड़नी पड़ी। वे फ्रांस में बस गए, लेकिन राजा किसी भी हालत में अपनी अंग्रेजी रानी को पीछे छोड़ने को तैयार नहीं थे। राजा की वह विदेशी रानी बहुत सुंदर थी।

राजाओ की शादी को लेकर ये था अग्रेजों का नियम

उस समय अंग्रेजों का एक नियम था कि कोई भी भारतीय राजा किसी भी अंग्रेज महिला से पहला विवाह नहीं करेगा। क्योंकि अग्रेजों को डर था। की अगर कोई अंग्रेज महिला पहली महारानी बन जाएगी, तो उससे हुई संतान उत्तराधिकारी बनेंगी। वो खुद को अंग्रेज शासकों के बराबर समझेंगी। इससे नए तरह की समस्याएं पैदा होंगी। और इसी के चलते अंग्रेज हमेशा महाराजाओं को पहली शादी किसी भारतीय महिला से करने को कहते थे। ताकि उत्तराधिकार को लेकर किसी तरह की दिक्कत न हो।

Martanda Bhairava Tondaiman

एक अमेरिकी लड़की से भी की थी सगाई 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की सन् 1915 में राजा मार्तण्ड 40 साल के आकर्षक एक अविवाहित पुरुष थे। उन्होंने फैसला किया कि वह अपने ही देश की किसी महिला से शादी नहीं करेंगे। पहले उन्हें एक अमेरिकी महिला पसंद आई। उससे सगाई भी हुई लेकिन अंग्रेजों के दबाव के चलते इसे तोड़ना पड़ा।

इस तरह हुई मुलाकात 

राजा मार्तंड पहली बार ऑस्ट्रेलिया में अपने होटल में मौली फिंक से मिले और उन्हें पहली नजर मे उससे प्यार हो गया। वही मौली एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखती थी और बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थी। वे दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे।

शादी के कार्ड तक नहीं छपने दिए 

मौली की मां को भी मार्तंड पसंद था इसलिए जब राजा ने मौली के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो उसकी मां को कोई आपत्ति नहीं थी। वे सभी पुदुकोट्टी की रियासत में गए जहां राजा और मौली ने शादी कर ली। सभी बहुत खुश थे, लेकिन अंग्रेजों ने शादी की घोषणा नहीं छपने दी क्योंकि वे युगल के लिए बाधाएँ खड़ी करना चाहते थे। बाधाओं के बावजूद, राजा और रानी ने फिर भी शादी कर ली।

अग्रेजों द्वारा रानी को जहर देने की कोशिश की गई 

जब राजा की ऑस्ट्रेलियाई पत्नी शादी के बाद गर्भवती हो गई थीं। उन्हें ना जाने किसने रानी को खाने में जहर दे दिया था। माना गया कि ये काम अंग्रेजों ने ही साजिश के तहत कराया था। 

राजा को छोड़ना पड़ा राज सिहंसन 

अंग्रेजों द्वारा राजा का कड़ा विरोध हुआ, इसलिए उन्हें अपने परिवार को लेकर ऑस्ट्रेलिया जाना पड़ा। पहला बच्चा ऑस्ट्रेलिया में पैदा हुआ था। राजा को अपना सिंहासन छोड़ना पड़ा और उत्तराधिकार अपने छोटे भाई को दे दिया गया। अंग्रेजों ने बाद में मार्तंड और मौली के बेटे को असली वारिस मानने से इनकार कर दिया।

Martanda Bhairava Tondaiman

अपनी पत्नी औरे बेटे के साथ फ्रांस चले गए राजा 

सन् 1920 में राजा मार्तण्ड अपनी पत्नी औरे बेटे के साथ फ्रांस के केंस में जाकर रहने लगे। वो वहां की सोसायटी के खास अंग बन गए। वहां की पार्टियों की शान होते थे। राजा के पास बेशुमार धन था। साथ ही उनके अपने राज्य से उन्हें काफी धन सालाना पेंशन के रूप में मिलता था। बड़ी-बड़ी हस्तियां फ्रांस में उनकी दोस्त थीं। 

अग्रेजों ने भारत मे अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी 

1928 में मार्तंड की मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी मौली उनका अंतिम संस्कार भारत में उनकी रियासत पुदुकोट्टी में करना चाहती थीं, लेकिन अंग्रेजों ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसलिए लंदन में हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार किया गया। लंदन में आज भी राजा का एक स्मारक है।

राजा का बेटा अमेरिकी नागरिक बन गया

राजा के मरने के बाद, मौली कुछ समय के लिए फ्रांस में रहीं। फिर वह लंदन में रहने आ गईं। लेकिन कुछ कानूनी दिक्कतों की वजह से राजा का बेटा अमेरिकी नागरिक बन गया। मौली की 1967 में केंस में मृत्यु हो गई।