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इस राज्य में 70 हजार स्कूलों के नाम बदलने की तैयारी में है सरकार, महापुरुषों के नामों पर रखे जाएंगे स्कूलों के नाम

बिहार राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक नई और महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। राज्य के लगभग 70 हजार सरकारी स्कूलों। जिसमें नवसृजित प्राथमिक विद्यालय और उत्क्रमित मध्य विद्यालय शामिल हैं।
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school names will be changed
   

बिहार राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक नई और महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। राज्य के लगभग 70 हजार सरकारी स्कूलों। जिसमें नवसृजित प्राथमिक विद्यालय और उत्क्रमित मध्य विद्यालय शामिल हैं। प्राथमिक विद्यालय और उत्क्रमित मध्य विद्यालय के नाम बदले जाने की योजना है।

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इन स्कूलों को अब देश और राज्य के देशभक्त महापुरुषों के नाम पर नवीनीकृत किया जाएगा। इस बदलाव से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में इजाफा होने की उम्मीद है। बल्कि यह बच्चों में राष्ट्रीय गौरव और सम्मान की भावना को भी मजबूत करेगा।

इस पहल के माध्यम से बिहार के स्कूलों में नयी ऊर्जा और परिवर्तन की उम्मीद की जा रही है। नए नाम न केवल विद्यालयों की पहचान को मजबूत करेंगे। बल्कि छात्रों में देशभक्ति की भावना को भी प्रोत्साहित करेंगे। यह बदलाव बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

शिक्षा विभाग की तैयारियाँ

शिक्षा विभाग द्वारा इस योजना की तैयारी जोरों पर है। जुलाई के बाद से इस प्रक्रिया को आरंभ करने की योजना है। सभी स्कूलों के नए नाम की जानकारी ई-शिक्षा कोष और यू-डायस पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। इस बदलाव के साथ ही स्कूलों की पहचान भी नए नामों से जानी जाएगी।

जिससे स्कूलों के ब्रांड और पहचान में सकारात्मक बदलाव आएगा। इस प्रक्रिया में भागलपुर सहित बिहार के सभी 38 जिलों के स्कूलों की विस्तृत जानकारी एकत्रित की जा रही है।

नवसृजित और उत्क्रमित स्कूलों का परिवर्तन

ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की गई थी। इन स्कूलों को अब उनकी भौतिक सुविधाओं के अनुसार नवीनीकृत किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में जिन स्कूलों को भवन और जमीन उपलब्ध हुई है। उनके नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

विशेष जिलों में परिवर्तन की योजना

भागलपुर, बांका, लखीसराय, सुपौल, मुंगेर, अररिया और मधेपुरा जैसे जिलों में स्थित हजारों नवसृजित और उत्क्रमित विद्यालयों के नाम बदले जाएंगे। इस कदम का उद्देश्य न केवल शैक्षिक सुविधाओं को बेहतर बनाना है। बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि शिक्षा से संबंधित डिजिटल रिकॉर्डिंग प्रक्रिया में सुविधा हो।